।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
माघ कृष्ण सप्तमी, वि.सं.२०७१, सोमवार
श्रीरामानंदाचार्य जयन्ती
मानसमें नाम-वन्दना
                     

 (गत ब्लॉगसे आगेका)


ऐसे कोई मिनिस्टरका आदर, बड़ाई करे, दासता भी करे तो मतलब क्या है ? परमिट लेना है या व्यापार आदि अपने कामके लिये आज्ञा लेनी है । उसको मिनिस्टरसे मतलब नहीं है, मतलब है अपने कामसे । दीखनेमें और जगह प्रेम दीखे भले ही, पर जो मतलब सिद्ध करना होता है, उसीको लेकर प्रेम होता है । ऐसे आर्त और अर्थार्थी भगवान्‌का भजन तो करते हैं, पर किसीको दुःख दूर करवाना है, किसीको अर्थ (धन) चाहिये । जिज्ञासु कुछ जानना चाहता है । इन तीनोंके साथ कुछ-न-कुछ कामना लगी हुई है, पर ज्ञानी केवल भगवान्‌में लगा हुआ है । इसलिये वह भगवान्‌को विशेष प्यारा लगता है । ऐसे चार प्रकारके भक्तोंका वर्णन हुआ ।

राम ! राम !! राम !!!

प्रवचन- ८

चहुँजुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊ ।
कलि बिसेषि नहि आन उपाऊ ॥
                             (मानस, बालकाण्ड, दोहा २२ । ८)

चारों युगोंमें और चारों ही वेदोंमें भगवान्‌के नामका प्रभाव है; परंतु कलियुगमें नामका प्रभाव विशेष है । भक्तोंके लिये भगवान्‌के नामका ही आधार है । इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है । कलियुगके आनेपर भगवान्‌ने विशेष कृपा कर दी कि सभी साधनोंकी शक्तिको नाम महाराजमें लाकर रख दी ।

नाम्नामकारि बहुधा निजसर्वशक्तिः

 भगवान्‌ने अपनी पूरी-की-पूरी शक्ति नाम महाराजमें रख दी । इसमें विलक्षणता यह रखी कि स्मरणे न कालः’ नाम जपनेके लिये कोई समय नहीं बाँधा । कोई पात्र विशेषकी बात नहीं कही, कोई विधि विशेषकी बात नहीं, कोई जपे और कैसे ही जपे, किसी तरहसे भगवन्नाममें लग जाय ।

उद्धारका सुगम उपाय

सत्ययुग, त्रेता, द्वापरमें आदमी शुद्ध होते थे, पवित्र होते थे, वे विधियाँ जानते थे, उन्हें ज्ञान होता था, समझ होती थी, उनकी आयु बड़ी होती थी । कलियुगके आनेपर इन सब बातोंकी कमी आ गयी, इसलिये जीवोंके उद्धारके लिये बहुत सुगम उपाय बता दिया ।

कलियुग   केवल   नाम    अधारा ।
सुमिरि सुमिरि भव उतरहिं पारा ॥

संसारसे पार होना चाहते हो तो नामका जप करो ।

जुगति बताओ जालजी  राम  मिलनकी  बात ।
मिल जासी ओ मालजी थे राम रटो दिन रात ॥

रात-दिन भगवान्‌के नामका जप करते चले जाओ । हरिरामदासजी महाराज भी कहतै‒

जो जिव चाहे मुकुतिको तो सुमरिजे राम ।
हरिया  गेले   चालतां   जैसे   आवे  गाम ॥


जैसे रास्ते चलते-चलते गाँव पहुँच ही जाते हैं, ऐसे ही राम-राम’ करते-करते भगवान् आ ही जाते हैं, भगवान्‌की प्राप्ति अवश्य हो जाती है । इसलिये यह रामनाम बहुत ही सीधा और सरल साधन है ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे