(गत ब्लॉगसे आगेका)
ऐसे कोई मिनिस्टरका आदर,
बड़ाई करे, दासता भी करे तो मतलब क्या है ?
परमिट लेना है या व्यापार आदि अपने कामके लिये आज्ञा लेनी है
। उसको मिनिस्टरसे मतलब नहीं है, मतलब है अपने कामसे । दीखनेमें और जगह प्रेम दीखे भले ही,
पर जो मतलब सिद्ध करना होता है,
उसीको लेकर प्रेम होता है । ऐसे आर्त और अर्थार्थी भगवान्का
भजन तो करते हैं, पर किसीको दुःख दूर करवाना है,
किसीको अर्थ (धन) चाहिये । जिज्ञासु कुछ जानना चाहता है । इन
तीनोंके साथ कुछ-न-कुछ कामना लगी हुई है, पर ज्ञानी केवल भगवान्में लगा हुआ है । इसलिये वह भगवान्को
विशेष प्यारा लगता है । ऐसे चार प्रकारके भक्तोंका वर्णन हुआ ।
राम ! राम !! राम !!!
प्रवचन- ८
चहुँजुग चहुँ श्रुति नाम प्रभाऊ ।
कलि बिसेषि नहि आन उपाऊ ॥
(मानस, बालकाण्ड,
दोहा २२ । ८)
चारों युगोंमें और चारों ही वेदोंमें भगवान्के नामका प्रभाव
है; परंतु कलियुगमें नामका प्रभाव विशेष है । भक्तोंके लिये भगवान्के नामका ही आधार
है । इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है । कलियुगके आनेपर भगवान्ने विशेष कृपा कर दी
कि सभी साधनोंकी शक्तिको नाम महाराजमें लाकर रख दी ।
नाम्नामकारि बहुधा निजसर्वशक्तिः
भगवान्ने अपनी पूरी-की-पूरी शक्ति नाम महाराजमें रख दी । इसमें विलक्षणता यह रखी
कि ‘स्मरणे न कालः’
नाम जपनेके लिये कोई समय नहीं बाँधा । कोई पात्र विशेषकी बात
नहीं कही, कोई विधि विशेषकी बात नहीं,
कोई जपे और कैसे ही जपे,
किसी तरहसे भगवन्नाममें लग जाय ।
उद्धारका सुगम उपाय
सत्ययुग, त्रेता, द्वापरमें आदमी शुद्ध होते थे,
पवित्र होते थे, वे विधियाँ जानते थे,
उन्हें ज्ञान होता था,
समझ होती थी, उनकी आयु बड़ी होती थी । कलियुगके आनेपर इन सब बातोंकी कमी आ
गयी, इसलिये जीवोंके उद्धारके लिये बहुत सुगम उपाय बता दिया ।
कलियुग केवल नाम अधारा ।
सुमिरि सुमिरि भव उतरहिं पारा ॥
संसारसे पार होना चाहते हो तो नामका जप करो ।
जुगति बताओ जालजी राम
मिलनकी बात ।
मिल जासी ओ मालजी थे राम रटो दिन रात ॥
रात-दिन भगवान्के नामका जप करते चले जाओ । हरिरामदासजी महाराज
भी कहतै‒
जो जिव चाहे मुकुतिको तो सुमरिजे राम ।
हरिया गेले चालतां जैसे आवे गाम
॥
जैसे रास्ते चलते-चलते गाँव पहुँच ही जाते हैं, ऐसे
ही ‘राम-राम’
करते-करते भगवान् आ ही जाते हैं, भगवान्की
प्राप्ति अवश्य हो जाती है । इसलिये यह ‘राम’
नाम बहुत ही सीधा और सरल साधन है ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे
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