Oct
08
।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
आश्विन शुक्ल सप्तमी, वि.सं.२०७३, शनिवार
महापापसे बचो




(गत ब्लॉगसे आगेका)

परस्त्रीगमन करना भी महापाप है, इसलिये इसको व्यभिचार अर्थात् विशेष अभिचार (हिंसा) कहा गया है । अगर पुरुष परस्त्रीगमन करता है अथवा स्त्री परपुरुषगमन करती है तो माँ-बाप, भाई-बहन आदिको तथा ससुरालमें पति, सास-ससुर, देवर आदिको महान् दुःख होता है । इस प्रकार दो परिवारोंको दुःख देना पाप है और निषिद्ध भोग भोगकर शास्त्र, धर्म, समाज, कुल आदिकी मर्यादाका नाश करना भी पाप है । ये दोनों पाप एक साथ बननेसे परस्त्रीगमन अथवा परपुरुषगमन करना विशेष अभिचार है, महापाप है । एक बुद्धिमान् सज्जनने अपना अनुभव बताया था कि परस्त्रीगमन करनेसे हृदयका आस्तिकभाव नष्ट हो जाता है और नास्तिकभाव आ जाता है, जो कि महान् अनर्थका मूल है ।

हिन्दू, मुसलमान, ईसाई आदि कोई भी क्यों न हो, सभीको ऐसे महापापोंका त्याग करना चाहिये । मनुष्य-शरीर मिला है तो कम-से-कम महापापोंसे तो बचना ही चाहिये; जिससे आगे दुर्गति न हो, भूत-प्रेत आदि योनियोंकी प्राप्ति न हो ।

गर्भपात महापापसे दुगुना पाप है

जैसे ब्रह्महत्या महापाप है, ऐसे ही गर्भपात भी महापाप है । शास्त्रमें तो गर्भपातको ब्रह्महत्यासे भी दुगुना पाप बताया गया है‒

यत्पापं    ब्रह्महत्याया     द्विगुणं     गर्भपातने ।
प्रायश्चित्तं न तस्यास्ति तस्यास्त्यागो विधीयते ॥
                                         (पाराशरस्मृति ४ । २०)

‘ब्रह्महत्यासे जो पाप लगता है, उससे दुगुना पाप गर्भपात करनेसे लगता है । इस गर्भपातरूपी महापापका कोई प्रायश्चित्त नहीं है, इसमें तो उस स्त्रीका त्याग कर देनेका ही विधान है ।’

भगवान् विशेष कृपा करके जीवको मनुष्य-शरीर देते हैं, पर नसबन्दी, आपरेशन, गर्भपात, लूप, गर्भनिरोधक दवाओं आदिके द्वारा उस जीवको मनुष्य-शरीरमें न आने देना, उस परवश जीवको जन्म ही न लेने देना, जन्मसे पहले ही उसको नष्ट कर देना बड़ा भारी पाप है । उसने कोई अपराध भी नहीं किया, फिर भी उस निर्बल जीवकी हत्या कर देना उसके साथ कितना बड़ा अन्याय है । वह जीव मनुष्य-शरीरमें आकर न जाने क्या-क्या अच्छे काम करता, समाजकी सेवा करता, अपना उद्धार करता, पर जन्म लेनेसे पहले ही उसकी हत्या कर देना घोर अन्याय है, बड़ा भारी पाप है । अपना उद्धार, कल्याण न करना भी दोष, पाप है, फिर दूसरोंको भी उद्धारका मौका प्राप्त न होने देना कितना बड़ा पाप है ! ऐसा महापाप करनेवाले स्त्री-पुरुषकी अगले जन्मोंमें कोई सन्तान नहीं होगी । वे सन्तानके बिना जन्म-जन्मान्तरतक रोते रहेंगे ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)

‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे