(गत ब्लॉगसे आगेका)
प्रश्न‒जेठानी और देवरानी आपसमें लड़ें तो भाइयोंको क्या करना चाहिये ?
उत्तर‒वे अपनी-अपनी
स्त्रीको समझायें । छोटा भाई अपनी स्त्रीको समझाये कि ‘देखो ! तुम्हें
मेरे बड़े भाईको पिताके समान और भौजाईको माँके समान समझकर उनका आदर करना चाहिये । ‘बड़ा भाई अपनी
स्त्रीको समझाये कि ‘तुम्हारे लिये मेरा छोटा भाई पुत्रके समान और उसकी स्त्री पुत्रीके
समान है; अतः तुम्हें उनको
प्यार करना चाहिये । उसकी स्त्री कुछ भी कह दे, तुम्हें उसको क्षमा कर देना चाहिये; क्योंकि तुम बड़ी
हो । अगर तुम उसकी बात नहीं सहोगी तो तुम्हारा दर्जा बड़ा कैसे हुआ ? उसकी बातोंको
सहनेसे, उसको प्यार करनेसे
ही तो दर्जा ऊँचा होगा ! क्रोध करनेवाला अन्तमें हार जाता
है और दूसरेके क्रोधको धैर्यपूर्वक सहनेवाला जीत जाता है ।
दोनों
भाइयोंको यह सावधानी रखनी चाहिये कि वे स्त्रियोंकी कलहको अपनेमें न लायें । स्त्रियोंमें
सहनेकी शक्ति (स्वभाव) कम होती है; अतः
भाइयोंको बड़ी सावधानीसे बर्ताव करना चाहिये, जिससे
आपसमें खटपट न हो । अगर स्त्रियोंकी आपसमें बने ही नहीं
तो अलग-अलग हो जाना चाहिये[*], पर अलग-अलग भी
प्रेमके लिये ही होना चाहिये । यदि अलग-अलग होकर भी आपसमें खटपट रहती है तो फिर अलग-अलग
होनेसे क्या हुआ ? अतः प्रेमके लिये ही साथ रहना है और
प्रेमके लिये ही अलग होना है । अलग होनेपर अपने हिस्सेके लिये
कलह भी नहीं होनी चाहिये । छोटे भाईको चाहिये कि बड़ा भाई जितना दे दे, उतना ही ले ले, पर बड़े भाईको
चाहिये कि वह अपनी दृष्टिसे छोटे भाईको अधिक दे; क्योंकि वह छोटा है, प्यारका पात्र
है । अपनी दृष्टिसे अधिक देनेपर भी यदि छोटा भाई (अपनी दृष्टिसे) ठीक न माने तो बड़े
भाईको छोटे भाईकी दृष्टिका ही आदर करना चाहिये, अपनी दृष्टिका नहीं ।
त्याग
ही बड़ी चीज है । तुच्छ चीजोंके लिये राग-द्वेष करना बड़ी भारी भूल है; क्योंकि
चीजें तो यहीं रह जायँगी, पर राग-द्वेष
साथमें जायँगे । इसलिये मनुष्यको हरदम सावधान रहना चाहिये और अपने अन्तःकरणको
कभी मैला नहीं करना चाहिये ।
प्रश्न‒पुत्र आपसमें लड़ें तो भाइयोंको क्या करना चाहिये ?
उत्तर‒जहाँतक बने, अपने पुत्रका
पक्ष न लें,
भाईके पुत्रका
पक्ष लें । यदि भाईके पुत्रका अन्याय हो तो उसको शान्तिसे समझाना चाहिये । तात्पर्य
है कि अपने स्वार्थ और अभिमानका त्याग करें तो सबके साथ अच्छा
बर्ताव होगा ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’
पुस्तकसे
|