।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
     पौष शुक्ल पंचमी, वि.सं.-२०७४, शनिवार
  भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय


भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय

(गत ब्लॉगसे आगेका)

९. भगवान्‌को याद करना

(१)

भगवत्स्मरण समस्त साधनोंका सार है । भगवान्‌को याद करते ही सम्पूर्ण अमंगल नष्ट हो जाते हैं । इसमें लाभ-ही-लाभ है, हानि है ही नहीं । सत्संगकी बातोंमें भगवान्‌को याद करना सबसे मार्मिक बात है, सबकी सार बात है । अतः चलते-चलते, उठते-बैठते हर समय भीतरसे भगवान्‌को याद रखो, फिर शरीर चाहे जब छूटे ।

(२)

भगवान्‌का स्मरणमात्र करनेसे वे राजी हो जाते हैं । इससे सुगम और क्या साधन होगा !

(३)

भगवान्‌को याद करनेमात्रसे कल्याण हो जाता है, सदाके लिये दुःख मिट जाता है, महान् आनन्दकी प्राप्ति हो जाती है । इतना सस्ता सौदा और क्या होगा ! साधन तो इतना सुगम, पर फल इतना महान् ! इतना सुगम काम भी हम न कर सकें तो क्या करेंगे ?

(४)

मनुष्यके दो खास काम हैं‒भगवान्‌को याद करना और अपनी शक्तिके अनुसार दीन-दुखियोंकी, गरीबोंकी, अरक्षितोंकी, अपाहिजोंकी, अभावग्रस्तोंकी, माता-पिता आदि पूज्यजनोंकी सेवा करना, उनको सुख पहुँचाना । जितना आप सुखपूर्वक कर सकते हो, उतनी ही आपपर जिम्मेवारी है ।

कोई काम करो, कहीं जाओ, भगवान्‌को अवश्य याद कर लो । भगवान्‌को याद करनेमात्रसे मनुष्य संसार-बन्धनसे छूट जाता है‒‘यस्य स्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् । विमुच्यते........॥’ (महाभारत, अनुशासन १४९) । भगवान्‌को याद करनेसे उनकी कृपासे सब काम सिद्ध होते हैं । लक्ष्मणजी रामजीको नमस्कार किये बिना मेघनादको मारने गये तो मूर्च्छित हो गये (मानस, लंका ५२) और रामजीको नमस्कार करके गये तो मेघनादको मार दिया‒रघुपति चरन नाइ सिरु चलेउ तुरंत अनंत’ (मानस, लंका ७५) भगवान्‌को याद रखनेसे विजय और भूल जानेसे पराजय होती है । इसलिये हरेक काम भगवान्‌को याद करके करो ।


संसारके काममें विजय दीखती है, विजय होती नहीं, पर भगवान्‌के भजनमें सदा विजय ही होती है, पराजय होती ही नहीं । जैसे वृक्षके मूलमें पानी देनेसे पूरे वृक्षको पुष्टि मिलती है और अन्न-जल देनेसे पूरे शरीरको शक्ति मिलती है, ऐसे ही भगवान्‌को याद करनेसे दुनियामात्रको ताकत मिलती है । यह गुप्त बात है, हर कोई बताता नहीं ! भगवान्‌को याद करना सब बातोंका सार है ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे