।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि–
अधिक ज्येष्ठ सप्तमी, वि.सं.-२०७५, सोमवार
 अनन्तकी ओर     



तीर्थोंमें रहना हो तो नियमपूर्वक रहना चाहिये । संयम रखना चाहिये । ब्रह्मचर्यका पालन करना चाहिये । भोजन एक समय करो अथवा दो समय करो, पर उसमें संयम रखो । बोलेनेमें भी संयम रखो । सत्य बोलो । मौन रखो । भजन-स्मरण करो । ज्यादा बोलनेमें झूठ-कपट आ जाता है, इसलिये कम बोलो । जमीन अच्छी होती है तो उसमें बोया हुआ धान भी अच्छा होता है । इसलिये तीर्थमें किया हुआ भजन विशेष लाभदायक होता है । केवल तीर्थमें जानेसे भी लाभ है, पर वहाँ कोई पाप बन जायगा तो उसका बड़ा भयंकर फल होगा ! रामायणमें आया है‒

तब रघुपति रावन के सीस भुजा सर चाप ।
काटे बहुत बढ़े पुनि जिमि तीरथ कर पाप
                                                (मानस, लंका ९७)

श्रीरघुनाथजीने रावणके सिर, भुजाएँ, बाण और धनुष काट डाले, पर वे पुनः वैसे ही बढ़ गये, जैसे तीर्थमें किये हुए पाप बढ़ जाते हैं (कई गुना अधिक भयंकर फल देते हैं) !’

तीर्थमें किया गया पाप बहुत प्रबल होता है, इसलिये तीर्थमें बड़े संयमसे रहना चाहिये । तीर्थोंमें पुण्य करनेका बड़ा भारी माहात्म्य है । हरदम भगवान्‌का स्मरण करते रहना चाहिये । जहाँ रोजाना सैकड़ों आदमी आकर नमस्कार करते हैं, वहाँ विलक्षण शक्ति पैदा हो जाती है । इसलिये ऐसे क्षेत्रमें आकर शरीर-इन्द्रियाँ-मनका संयम रखना चाहिये । हमारे द्वारा किसीको किंचिन्मात्र भी दुःख न पहुँचे । सबको सुख पहुँचे । सबकी सेवा हो । जितना दूसरोंको सुख पहुँचाओगे, उतना आपको सुख होगा, आपका कल्याण होगा ।

जैसे अन्य शरीरोंकी अपेक्षा मनुष्यशरीर विशेष है, ऐसे ही अन्य स्थानोंकी अपेक्षा तीर्थ विशेष होते हैं । तीर्थमें गन्दगी नहीं करनी चाहिये । उसका दोष लगता है । गन्दगीसे दूसरे आदमीको दुःख होता है तो उसका पाप लगता है । यों तो मनुष्यजन्ममें हरदम सावधानी रखनेकी आवश्यकता है, पर तीर्थोंमें विशेष सावधानी रखनी चाहिये ।

श्रोता‒गाँववालोंकी एक शंका है कि भगवान् गायको इतना चाहते हैं, सन्त-महात्मा भी गायको बहुत चाहते हैं, तो भगवान् कम-से-कम इतनी वर्षा कर दें कि गायोंके लिये घास हो जाय । गायोंपर ही संकट क्यों आया है ? हमलोगोंके तो कर्म ही ऐसे हैं, पर गायको तो देना चाहिये !


स्वामीजी‒अरे, आपकी परीक्षा कर रहे हैं भगवान् ! गाय बेचारी कुछ बोल सकती नहीं, उसको आप घास नहीं देते तो आप परीक्षामें फेल हो रहे हो ! भगवान् आपको चेतावनी दे रहे हैं । जैसे आपका भाग्य है, ऐसे गायोंका भी भाग्य है । परन्तु आपकी परीक्षा हो रही है कि मनुष्य होकर भी अगर गायोंका पालन नहीं करोगे तो फिर मनुष्यजन्म नहीं मिलेगा । जैसे बारह महीना पढ़नेके बाद विद्यार्थीकी परीक्षाका दिन आता है, ऐसे ही अभी आपकी परीक्षाका दिन आया है ।