Nov
24
प्रश्न‒पुरुष दूसरा विवाह कर सकता है या नहीं ?
उत्तर‒अगर पहली स्त्रीसे
सन्तान न हुई हो तो पितृऋणसे मुक्त होनेके लिये, केवल सन्तान-उत्पत्तिके लिये
पुरुष शास्त्रकी आज्ञाके अनुसार दूसरा विवाह कर सकता है । अपने सुखभोगके लिये वह दूसरा विवाह नहीं कर सकता; क्योंकि
यह मनुष्य-शरीर अपने सुख-भोगके लिये है ही नहीं ।
पुनर्विवाह अपनी
पूर्वपत्नीकी आज्ञासे, सम्मतिसे ही करना चाहिये और पत्नीको भी चाहिये कि वह पितृऋणसे
मुक्त होनेके लिये पुनर्विवाहकी आज्ञा दे दे । पुनर्विवाह
करनेपर भी पतिको अपनी पूर्वपत्नीका अधिकार सुरक्षित रखना चाहिये; उसका
तिरस्कार, निरादर
कभी नहीं करना चाहिये, प्रत्युत उसको
बड़ी मानकर दोनोंको उसका सम्मान करना चाहिये ।
जिसकी सन्तान
तो हो गयी,
पर स्त्री मर
गयी, उसको पुनर्विवाह
करनेकी जरूरत ही नहीं है; क्योंकि वह पितृऋणसे मुक्त हो गया । परन्तु जिसकी भोगासक्ति
नहीं मिटी है,
वह पुनर्विवाह
कर सकता है;
क्योंकि अगर वह
पुनर्विवाह नहीं करेगा तो वह व्यभिचारमें प्रवृत्त हो जायगा, वेश्यागामी हो
जायगा, जिससे उसको भयंकर
पाप लगेगा । अंतः इस पापसे बचनेके लिये और मर्यादामें रहनेके लिये उसको शास्त्रकी आज्ञाके
अनुसार पुनर्विवाह कर लेना चाहिये ।
प्रश्न‒पहले राजालोग अनेक विवाह करते थे तो क्या ऐसा करना उचित था ?
उत्तर‒जो राजालोग अपने
सुखभोगके लिये अधिक विवाह करते थे, वे आदर्श नहीं माने गये हैं ।
केवल राजा होनेमात्रसे कोई आदर्श नहीं हो जाता । जो शास्त्रकी
आज्ञाके अनुसार चलते थे, धर्मका पालन करते
थे, वे
ही राजालोग आदर्श माने गये हैं ।
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