।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
श्रावण पूर्णिमा, वि.सं. २०७६ गुरुवार
        स्वतन्त्रता दिवस, रक्षाबन्धन, पूर्णिमा
                शरणागति
        

परमात्माकी शक्तिसे ही सारा संसार चल रहा है, इसलिये सब वस्तुओंका मूल परमात्मतत्त्व है, उसके शरण हो जाओ । यही एकमात्र रक्षाका सुगम उपाय है । कबीर साहबने कहा है‒

चलती चक्‍की देखकर  दिया  कबीरा  रोय ।
दो पाटन बीच आयके साबत बचा न कोय ॥
        
क्‍की चलती है तो उसके दो पाटोंके बीचमें जो भी दाना आ जायगा, वह पिस जायगा; पर ‘कोई एक हरिजन उबरे कील माकड़ी पास’ कीलके पास माकड़ीके नीचे रहनेवाले दाने बच जाते हैं । ऐसे ही जो मनुष्य संसारके आधार परमात्माका आश्रय ले लेते हैं, वे संसार-चक्रसे बच जाते हैं । अतः आप परमात्माके शरण हो जाओ ।
        
‘हे नाथ ! मैं आपके शरण हूँ ! आप कहाँ हो ? कैसे हो ? ‒यह आप जानो; मैं तो बस, आपके ही शरण हूँ ।’  भगवान्‌के स्वरूपको जाननेकी इतनी आवश्यकता नहीं है, जितनी आवश्यकता उनका आश्रय लेनेकी है । परमात्माके स्वरूपके विषयमें बहुत मतभेद हैं । कोई सगुण, कोई निर्गुण, कोई निराकार, कोई साकार मानते है, ऐसे ही कोई द्वैत, अद्वैत, विशिष्ठाद्वैत, द्वैताद्वित, शुद्धाद्वैत आदि मानते हैं‒इस प्रकार अनेक प्रकारकी मान्यताएँ हैं । हमें इस मतभेदके जालमें कभी नहीं फँसना है । यह एक प्रकारका जाल ही है । बस, हम तो परमात्माके शरण हैं, वह कैसा ही हो और कहीं हो; हमारा आश्रय तो केवल वही है । हमारे लिये इतना ही पर्याप्त है‒

यं शैवाः समुपासते शिव इति ब्रह्मेति वेदान्तिनो
                बौद्धा बुद्ध इति प्रमाणपटवः  कर्तेति  नैयायिकाः ।
अर्हन्नित्यथ  जैनशासनरताः   कर्मेति  मीमांसकाः
      सोऽयं नो विदधातु वाञ्छितफलं त्रैलोक्यनाथो हरिः ॥
(हनुमन्नाटक)
        

मनुष्य अपनी अटकलसे परमात्माको जानता है, पर परमात्मा उस जानकारीसे भी विलक्षण है । यदि आप जैसा जानते हैं, परमात्माका वैसा ही स्वरूप है तो फिर जानना क्या बाकी रहा ? पूरे जानकार हो तो साधन क्या शेष रहा ? पूरे-से-पूरा जानकार भी परमात्माके विषयमें कुछ नहीं जानता । अनन्तको सीमित बुद्धिवाला क्या जानेगा ? उस सीमित बुद्धिवालेका जानना केवल उसकी बुद्धिका परिचयमात्र ही है; क्योंकि परमात्माके विषयमें पूरी तरह कोई नहीं जान सकता । आज दिनतक जैसा समझा वैसा ही मानकर उस परमात्माकी शरण लेना ही उत्तम है, परम आवश्यक है, पर जानना उतना आवश्यक नहीं है ।