।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
भाद्रपद कृष्ण पंचमी, वि.सं. २०७६ मंगलवार
                शरणागति
        


आजकल एक आम शिकायत है कि भगवान्‌में मन नहीं लगता । इसमें खास बात है कि आप मनको लगाते नहीं । अगर आप मन लगानेका उद्योग कर रहे हैं और फिर भी मन नहीं लगता तो परवाह मत करो । एक घन्टा भी सच्‍चे विचारसे भगवान्‌में मन लगानेके लिये बैठो और सावधानीपूर्वक मनको लगाते रहो तो वह समय व्यर्थ नहीं जायगा; क्योंकि प्रभुका यह स्वभाव है कि जो भजन करता है, मन लगानेकी चेष्टा करता है तो प्रभु उसको अपनी हाजरीमें ही मान लेते हैं ।

आप मन लगानेका उद्योग करते हो कि नहीं ? नाम लेते हो कि नहीं ?’ तो कहते हैं‒ ‘हम नाम लेते हैं और हमारी दृष्टिसे मन लगानेका उद्योग भी करते हैं, पर मन लगता नहीं ।’ इसका एक उपाय बतावेंजब मन भगवान्‌में न लगे और दूसरी ओर जाय तो उसी समय भगवान्‌से कह दें‒‘देखो, देखो प्रभो ! यह मन फालतू बातोंमें जा रहा है । संसारको याद करता है, आपमें लगता नहीं ।इस प्रकार कहते ही रहो । जो संकल्प-विकल्प आवे, भगवान्‌से कह दो । महाराज ! यह बात याद आ गयी । मैं तो आपका नाम लेता हूँ, पर अमुक बात याद आ गयी । मैं आपको भूल गया । भगवान्‌ सामने हैंऐसा मनसे समझकर आप अपनी अवस्था भगवान्‌से कहते रहो ।

जैसे बच्‍चा माँको बात कहता है और माँ सुनती नहीं तो बच्‍चा पल्ला पकड़ लेता है कि मेरी बात सुन । काम करती हुई माँको रोक देता है तो माँको सुनना पड़ता है । माँ कहती है‒‘अच्छा, अपनी बात सुना ।बच्चा अपनी बात सुनाता है‒‘मैं वहाँ गया था, वहाँ वह छोरा मिला था ।बस, यही बात बच्‍चेको कहनी थी । यह कोई जरूरी बात थोड़ी ही थी, परन्तु मनमें आ गयी कि माँको कहनी है, तो माँका पल्ला पकड़कर सुना ही दी । इसी तरह आप भी भगवान्‌से कह दिया करो‒‘महाराज ! मन नहीं लगता  है । देखो आपका नाम ले रहा हूँ, पर मन नहीं लगता है ।अपनी दशा ज्यों-की-त्यों भगवान्‌से कहते रहो । यह बड़ा भारी काम हो गया  । यह मामूली काम नहीं हुआ है । आप चाहे मानें, न मानें । आप प्रभुके दरबारमें भर्ती हो गये । प्रभुके सामने आस्तिकता आ गयी । आप नाम लेते ही रहो, इससे बहुत काम हो गया । कितना सीधा और सरल साधन है यह ।


सज्जनो ! भगवान्‌के दरबारमें जीव कितना भजन करता हैइसकी गिनती नहीं है । सनमुख होई जीव मोहि जबहीं । जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं ॥ केवल सन्मुख हो जाय और कहे कि हे नाथ ! मैं आपका भजन करना चाहता हूँ; पर भजन होता नहीं, मन लगता नहीं, क्या करूँ ?’ ऐसे कहते रहो और नाम छोड़ो मत । छूट जाय तो कहो‒ ‘राम-राम-रामदेखिये महाराज ! आपका नाम भी छूट गया । प्रभो ! ऐसी कृपा करो कि आपको भूलूँ नहीं ।भूल हो जाय तो भगवान्‌से फिर कह दो ।