।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
भाद्रपद शुक्ल नवमी, वि.सं. २०७६ शनिवार
              गुरुकी खोज



श्रोताआजकल दुनियामें ढूँढ़नेपर भी गुरु नहीं मिलता । मिलता है तो ठग मिलता है । हम गुरु ढूँढ़नेके लिये कई तीर्थोंमें गये, पर कोई मिला ही नहीं । आप कहते हैं कि जगद्गुरु कृष्णको अपना गुरु मान लो । अगर आप यह घोषणा कर दें कि भाई ! आपलोग कृष्णको ही गुरु मानो तो यह वहम ही मिट जाय ........!

स्वामीजीवास्तवमें गुरुको ढूँढ़ना नहीं पड़ता । फल पककर तैयार होता है तो तोता खुद उसको ढूँढ़ लेता है । ऐसे ही अच्छे गुरु खुद चेलेको ढूँढ़ते हैं, चेलेको ढूँढ़ना नहीं पड़ता । जैसे ही आप कल्याणके लिये तैयार हुए, गुरु फट आ टपकेगा ! फल पककर तैयार होता है तो तोता अपने-आप उसके पास आता है, फल तोतेको नहीं बुलाता । ऐसे ही आप तैयार हो जाओ कि अब मुझे अपना कल्याण करना है तो गुरु अपने-आप आयेगा । बालकका पालन माँ ही कर सकती है, पर माँको बालककी ज्यादा गरज होती है, बालकको माँकी गरज नहीं होती । इतनी देर हो गयी, बालकने दूध नहीं पिया, क्या बात है ?‒ यह चिन्ता माँको रहती है । ऐसे ही जब मनुष्य असली शिष्य बन जाता है, उसमें अपने उद्धारकी लालसा लग जाती है, तब गुरु अपने-आप उसे ढूँढ़ लेता है । जो असली गुरु होते हैं, वे दूसरेको चेला नहीं बनाते, प्रत्युत गुरु ही बनाते हैं ।

परसमें  अरु   संतमें    बहुत  अंतरौ जान ।
वह लोहा कंचन करे वह करै आपु सामन ॥


जिसको वे चेला बनाते हैं, वह दुनियाका गुरु बन जाता है । वहाँ ऐसी टकसाल है, जहाँसे गुरु-ही-गुरु निकलते हैं । दूसरेको अपना चेला बनाना तो पशुका काम है । कुत्ता दूसरे कुत्तेको काटता हैं और जब वह कुत्ता नीचे गिर जाता है तो यह ऊपर हो जाता है और राजी हो जा जाता है । दूसरेको चेला बनाकर, अपना मातहत (अधीन) बनाकर राजी होना क्या गुरुका लक्षण है ? भगवान्‌के दरबारमें अंधेर नहीं है । अगर आप तैयार हो जाओ तो अच्छे-अच्छे गुरु आपकी गरज करेंगे । बच्‍चेके बिना माँ वर्षोंतक रह सकती है और रहती आयी है, पर बच्‍चा माँके बिना नहीं रह सकता । फिर भी बच्‍चेमें माँकी जितनी गरज होती है, उससे ज्यादा माँमें बच्‍चेकी गरज होती है । परन्तु बच्‍चा माँके हृदयको समझ ही नहीं सकता । ऐसे ही गुरु चेलेके बिना रह सकता है, पर चेला गुरुके बिना नहीं रह सकता । चेलेके भीतर अपने उद्धारकी जितनी लगन होती है, उससे ज्यादा गुरुमें चेलेके उद्धारकी लगन होती है । परन्तु चेला गुरुके हृदयको समझ ही नहीं सकता ।