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24
।। श्रीहरिः ।।



  आजकी शुभ तिथि–
  मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा, वि.सं.-२०७९, गुरुवार

गीतामें भगवान्‌की 

विषय-प्रतिपादन-शैली



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(६) दसवें अध्यायके बीसवें श्‍लोकसे लेकर अड़तीसवें श्‍लोकतक भगवान्‌ने विस्तारसे अपनी विभूतियोंका वर्णन किया और फिर उन्तालीसवें श्‍लोकमें उसको संक्षेपसे बता दिया ।

(७) बारहवें अध्यायके छठे श्‍लोकमें भगवान्‌ने कहा कि जो भक्त मेरे परायण होकर सम्पूर्ण कर्मोंको मेरेमें अर्पण करके अनन्यभक्तिसे मेरा ध्यान करते हुए मेरी उपासना करते हैं’ । फिर इसी बातको सातवें श्‍लोकमें मय्यावेशितचेतसाम्’ (मेरेमें आसक्त हुए चित्तवालोंका) पदसे संक्षेपमें कहा ।

(ङ)

भगवान्‌ जिस विषयको पहले संक्षेपसे कहते हैं, आगे उसी विषयको विस्तारसे कह देते है; जैसे‒

(१) तीसरे अध्यायके आठवें श्‍लोकमें भगवान्‌ने संक्षेपसे नियत-कर्मकी बात कही और उसीको अठारहवें अध्यायके बयालीसवेंसे अड़तालीसवें श्‍लोकतक विस्तारसे कहा ।

(२) चौथे अध्यायके तेरहवें श्‍लोकमें भगवान्‌ने संक्षेपसे चारों वर्णोंकी बात कही और उसीको अठारहवें अध्यायके इकतालीसवेंसे चौवालीसवें श्‍लोकतक विस्तारसे कहा ।

(३) सातवें अध्यायके बारहवें श्‍लोकमें भगवान्‌ने न त्वहं तेषु ते मयि’ पदोंसे जो बात संक्षेपसे कही उसीको नवें अध्यायके चौथे-पाँचवें श्‍लोकोंमें विस्तारसे कहा ।

(च)

भगवान्‌ किसी विषयको पहले जिस रूपसे कहते हैं, आगे उसी विषयको प्रकारान्तरसे अर्थात् दूसरे प्रकारसे कह देते हैं; जैसे‒

(१) दूसरे अध्यायसे पाँचवें अध्यायकी समाप्‍तितक भगवान्‌ने जिस विषय‒कर्मयोगका वर्णन किया, उसीको अठारहवें अध्यायके चौथेसे बारहवें श्‍लोकतक प्रकारान्तरसे कहा ।

(२) पाँचवें अध्यायके तेरहवेंसे छब्बीसवें श्‍लोकतक और तेरहवें अध्यायके उन्‍नीसवेंसे चौंतीसवें श्‍लोकतक भगवान्‌ने जिस विषय‒सांख्ययोगका वर्णन किया, उसीको अठारहवें अध्यायके तेरहवेंसे अठारहवें श्‍लोकतक प्रकारान्तरसे कहा ।

(३) सातवें अध्यायसे बारहवें अध्यायतक भगवान्‌ने जिस विषय‒भक्तियोगका वर्णन किया, उसीको अठारहवें अध्यायके छप्पनवेंसे छाछठवें श्‍लोकतक प्रकारान्तरसे कहा ।

(४) भगवान्‌ने कहा कि प्रकृति और उसके गुणोंके द्वारा ही सब कर्म किये जाते हैं (३ । २७; ५ । ९; १३ । २९ आदि) । इसी बातको भगवान्‌ने अठारहवें अध्यायके तेरहवेंसे अठारहवें श्‍लोकतक प्रकारान्तरसे कहा ।

(५) चौदह अध्यायके पाँचवेंसे अठारहवें श्‍लोकतक भगवान्‌ने गुणोंका जो विषय कहा है, उसीको अठारहवें अध्यायके बीसवेंसे चालीसवें श्‍लोकतक प्रकारान्तरसे कहा ।