(गत ब्लॉगसे आगेका)
तब देवताओंने इन्द्रको उस यक्षका परिचय जाननेके लिये भेजा । परन्तु इन्द्रके वहाँ पहुँचते ही यक्ष अन्तर्धान हो गया और उस जगह हिमाचलकुमारी उमादेवी प्रकट हो गयीं । इन्द्रके पूछनेपर उमादेवीने कहा कि परब्रह्म परमात्मा ही तुमलोगोंका अभिमान दूर करनेके लिये यक्षरूपसे प्रकट हुए थे । तात्पर्य है कि परमात्मा ही सम्पूर्ण शक्तियोंके मूल हैं ।उपनिषदोंमें आया है‒
परास्य शक्तिर्विविधैव श्रूयते स्वाभाविकी ज्ञान- बलक्रिया च ॥ ( श्वेताश्वतर॰ ६ । ८)
‘इस परमेश्वरकी ज्ञान, बल और क्रियारूप स्वाभाविक दिव्य शक्ति नाना प्रकारकी ही सुनी जाती है ।’
एव सर्वेश्वर एव सर्वज्ञ एषोऽन्तर्याम्येष योनि: सर्वस्य प्रभवाप्ययौ हि भूतानाम् ॥ (माण्डूक्य॰ ६)
‘यह सबका ईश्वर है, यह सर्वज्ञ है, यह सबका अन्तर्यामी है, यह सम्पूर्ण जगत्का कारण है, क्योंकि समस्त प्राणियोंकी उत्पत्ति, स्थिति और प्रलयका स्थान यही है ।’
यतो वा इमानि भूतानि जायन्ते येन जातानि जीवन्ति । यत्प्रयन्त्यभिसंविशन्ति । तद्विजिज्ञासस्व । तद् ब्रह्मेति ।(तैत्तिरीय॰ ३ । १)
‘ये सब प्रत्यक्ष दीखनेवाले प्राणी जिससे उत्पन्न होते हैं, उत्पन्न होकर जिसके सहारे जीवित रहते हैं तथा अन्तमें इस लोकसे प्रयाण करते हुए जिसमें प्रवेश करते हैं, उसको तत्त्वसे जाननेकी इच्छा कर, वही ब्रह्म है ।’
तस्माद्वा एतस्मादात्मन आकाश: सम्भूतः । आकाशाद्वायुः । वायोरग्निः । अग्नेरापः । अद्भ्य: पृथिवी । पृथिव्या ओषधय: । ओषधीभ्योऽन्नम् । अन्नात्युरुष: । (तैत्तिरीय॰ २ । १)
‘निश्चय ही उस परमात्मासे पहले-पहल आकाश-तत्त्व उत्पन्न हुआ । आकाशसे वायु, वायुसे अग्नि, अग्निसे जल और जल-तत्त्वसे पृथ्वी उत्पन्न हुई । पृथ्वीसे समस्त ओषधियों उत्पन्न हुईं, ओषधियोंसे अन्न उत्पन्न हुआ और अन्नसे यह मनुष्य-शरीर उत्पन्न हुआ ।’
स विश्वकृद् विश्वविदात्मयोनिर्ज्ञः कालकालो गुणी सर्वविद् यः । (श्वेताश्वतर॰ ६ । १६)
‘वह ज्ञानस्वरूप परमात्मा सम्पूर्ण जगत्का रचयिता,सर्वज्ञ, स्वयं ही अपने प्राकट्यका हेतु, कालका भी महाकाल,सम्पूर्ण दिव्य गुणोंसे सम्पन्न और सबको जाननेवाला है ।’
यः सर्वज्ञ: सर्वविद्यस्य ज्ञानमय तय: ।
तस्मादेतदब्रह्म नाम रूपमत्र च जायते ॥
(मुण्डक॰ १ । १ । ९)
‘जो सर्वज्ञ तथा सबको जाननेवाला है, जिसका ज्ञानमय तप है, उसी परमेश्वरसे यह विराट्रूप जगत् तथा नाम, रूप और अन्न उत्पन्न होते हैं ।’
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘भगवान् और उनकी भक्ति’ पुस्तकसे
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