Jan
06
।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
माघ कृष्ण प्रतिपदा, वि.सं.२०७१, मंगलवार
मानसमें नाम-वन्दना
                     

 (गत ब्लॉगसे आगेका)

दार्शनिकोंका जहाँ विचार हुआ है, वहाँ शब्दमें अचिन्त्य शक्ति मानी है । जीभ वागिन्द्रिय है, उससे राम-राम’ ऐसे जपकी क्रिया होती है, पर इस नाम-जपमें इतनी अलौकिक शक्ति है कि ज्ञानेन्द्रियाँ और ज्ञानेन्द्रियोंसे आगे अन्तःकरण और अन्तःकरणसे आगे प्रकृति और प्रकृतिसे अतीत परमात्मतत्त्व है, उस परमात्मतत्त्वको यह नाम महाराज जना दे, ऐसी इसमें शक्ति है । शब्द’ में अचिन्त्य शक्ति होनेसे मोहका नाश हो जाता है । साधारण रीतिसे अपने अनुभवमें भी देखते हैं कि कोई गहरी नींदमें सोया हुआ है तो सोते समय सभी इन्द्रियाँ, मनमें, मन बुद्धिमें, बुद्धि प्रकृतिमें अर्थात् अविद्यामें लीन हो जाती हैं, तब गाढ़ नींद आती है । गाढ़ नींदमें सभी इन्द्रियाँ लीन हो जाती हैं, किसी इन्द्रियका कोई ज्ञान नहीं; परंतु उस आदमीका नाम उच्चारण करके पुकारा जाय तो वह आदमी उस अविद्यामेंसे जग जाता है ।

विचार करो‒नामका सम्बन्ध तो कर्णेन्द्रियके साथ है । कर्णेन्द्रियपर गाढ़ नींदमें इतने पर्दे आ जाते हैं; परंतु नाममें‒शब्दमें वह अचिन्त्य, अलौकिक शक्ति है, जो अविद्यामें लीन हुई बुद्धि, बुद्धिमें लीन हुई कर्णेन्द्रिय; उस कर्णेन्द्रियके द्वारा सुनाकर सोते हुएको जगा दे । शब्दमें इतनी शक्ति है कि जो सम्पूर्ण जीवोंका मालिक परमात्मतत्त्व है, उस परमात्मतत्त्वका केवल जीभसे नाम जपनेसे अनुभव करा दे ।

जाना चहहिं  गूढ़  गति  जेऊ ।
नाम जीहँ जपि  जानहिं तेऊ ॥
साधक नाम जपहि लय लाएँ ।
होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ ॥
                         (मानस, बालकाण्ड, दोहा २२ । ३-४)

अब दूसरे भक्तोंकी बात बताते हैं कि जो गूढ़ गति’‒मानो सबसे गूढ़ बातको जानना चाहते हैं, जिनके यह जाननेकी मनमें है कि हम भी उस परमात्मतत्त्वको जानें, जो कि सबसे गूढ़ तत्त्व है, उसके लिये कहा कि जीभसे नामजप करेंगे तो उस तत्त्वको वे जान लेंगे । अब साधकके विषयमें कहते हैं कि साधक अगर लौ लगाकर नाम-जप करता है तो वह सिद्ध हो जाता है । अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राकाम्य, वशिता आदि जो आठ सिद्धियाँ हैं, उन सब सिद्धियोंको वह पा लेता है ।

जपहिं नामु जन आरत  भारी ।
मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ॥
                             (मानस, बालकाण्ड, दोहा २२ । ५)

जो दुःखी, संतप्त होता है और संकटसे छूटना चाहता है, वह आर्त होकर व्याकुलतापूर्वक नामका जप करता है तो उसके सब संकट मिट जाते हैं । वह सुखी हो जाता है । ऐसे भगवान्‌के नामकी महिमा कही ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)

‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे