Dec
25
।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
पौष कृष्ण द्वादशी, वि.सं.२०७३, रविवार
बिन्दुमें सिन्धु


     (गत ब्लॉगसे आगेका)

सन्तोंकी वाणीमें मेरेको ऐसी विशेष बातें मिली हैं, जो अभीतक शास्त्रोंमें भी नहीं आयी हैं ! उनमेंसे एक बात है कि परमात्माकी प्राप्ति जड़ताकी सहायतासे नहीं होती । यह बहुत ही मार्मिक बात है, मामूली बात नहीं है ! परन्तु इस बातको हरेक आदमी समझेगा नहीं, विचार करनेवाला ही समझेगा । जड़के द्वारा चिन्मयताकी प्राप्ति नहीं होती; परन्तु जड़के त्यागसे चिन्मयताकी प्राप्ति जरूर होती है । शास्त्रमें प्रायः जड़ताकी सहायताकी ही बात आती है । लोग जैसे जड़ चीजोंकी प्राप्ति करते हैं, ऐसे ही उपायसे परमात्माकी प्राप्ति करना चाहते हैं । परन्तु ऐसे परमात्माकी प्राप्ति नहीं होती । जड़ चीज है‒पदार्थ और क्रिया । शरीरादि सम्पूर्ण वस्तुएँ पदार्थ’ हैं और कहना, सुनना, समझना, विचार करना आदि सब क्रिया’ है । ये पदार्थ और क्रिया परमात्माकी प्राप्तिमें सहायक तो हैं, पर ये प्राप्ति नहीं करा सकते । इनसे ऊँचा उठनेपर ही परमात्माकी प्राप्ति होती है । मैंने उद्योग करके देखा है । इस विषयमें मेरा अनुभव भी है । मैंने इस विषयको साधन और साध्य’ पुस्तकमें विस्तारसे लिखा है, आप पढ़कर देखो ।
☀☀☀☀☀
सबसे विलक्षण चीज है‒भगवान्‌के साथ सम्बन्ध । सम्बन्ध जोड़नेसे बहुत जल्दी उन्नति होती है । भगवन्नामका जप, ध्यान, कीर्तन आदि निरन्तर नहीं होते, बीचमें अन्तर पड़ता है; परन्तु भगवान्‌के सम्बन्धमें अन्तर नहीं पड़ता । जैसे नींद लेनेसे विवाहका सम्बन्ध मिट नहीं जाता, ऐसे ही नींद लेनेसे अथवा भूल जानेसे भगवान्‌का सम्बन्ध मिट नहीं जाता । यह नित्य-निरन्तर अटल रहता है । जप आदि करनेमें थकावट भी होती है, पर सम्बन्धमें थकावट होती ही नहीं । यह सम्बन्ध तत्काल होता है और सदाके लिये होता है, जैसे विवाह । आप तोड़ो, तभी टूटता है । आप भगवान्‌को अपना मान लो तो इस सम्बन्धको भगवान् भी तोड़ नहीं सकते । सूरदासजीने कहा है‒

हस्तमुत्क्षिप्य यातोऽसि बलात्कृष्ण किमद्भुतम् ।
हृदयाद्यदि    निर्यासि   पौरुषं   गणयामि   ते ॥

हाथ छुड़ाये जात हौ, निबल जानि कै मोहि ।
हिरदै ते जब जाहुगे,  सबल  बदौंगो  तोहि ॥
☀☀☀☀☀
आपके पास दो कीमती चीजें हैं‒समय और सम्बन्ध । समयको भगवान्‌में लगाओ और सम्बन्ध भगवान्‌से जोड़ो । हम भगवान्‌के अंश हैं, इसलिये भगवान्‌के साथ हमारा स्वाभाविक ही नित्य-सम्बन्ध है । आपने सम्बन्ध तोड़ा है, भगवान्‌ने नहीं । आप जब सम्बन्ध जोड़ोगे, तब जुड़ जायगा । सम्बन्ध जोड़नेमें आप स्वतन्त्र हैं ।

    (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒ ‘बिन्दुमें सिन्धु’ पुस्तकसे