Dec
31
(गत ब्लॉगसे आगेका)
सब भाई-बहन विचार करो कि हमारा वश किसपर चलता
है ? हमारी स्वतन्त्रता किसपर चलती है ? हम अपने मनके अनुसार किन वस्तुओंको, व्यक्तियोंको रख
सकते हैं ? बोलने, चलने, देखने, सुनने आदि किन क्रियाओंको अपने मनके अनुसार कर
सकते हैं ? आपको साधन करना हो तो कम-से-कम इस एक बातपर विचार करो कि हमारा वश किसपर चलता है ? स्वयं इस बातपर विचार करो तो आप उन्नत हो जाओगे । अभी जिस स्थितिमें हो,
उससे ऊँचे उठ जाओगे । आपको बहुत लाभ होगा ।
जिसपर हमारा वश नहीं चलता, वह हमारा कैसे ?
शरीरको बीमार न होने दें, कमजोर न होने दें,
मरने न दें‒ऐसा हमारा वश चलता है क्या ?
जिसपर हमारा वश नहीं चलता, उसको अपना मानना ठीक
है क्या ? छोटे-बड़े सबसे हाथ जोड़कर प्रार्थना
है कि इस बातपर विचार करो । अगर आप अपनी आध्यात्मिक उन्नति चाहते हो, सत्संगसे लाभ लेना चाहते हो, परमात्माकी प्राप्ति चाहते
हो, तत्त्वज्ञान चाहते हो, भगवान्का प्रेम चाहते हो तो इसपर सोचो । जिनपर अपना वश नहीं चलता, उनको अपना मान सकते हो क्या ? उनको अपना कैसे मानोगे
? उनके मालिक कैसे बनोगे ? इसपर गहरा विचार
करो तो आपकी आध्यात्मिक उन्नति जरूर होगी, इसमें सन्देह नहीं
है । बहुत लाभ होगा ! आप वर्षोतक सत्संग करते रहे और लाभ नहीं
हुआ, वह लाभ एक दिनमें हो जायगा !
वस्तु, व्यक्ति और क्रिया‒ये तीन हैं । इन तीनोंपर आपका वश चलता है क्या ? क्रियाएँ
अनेक हैं । शरीरकी क्रिया है, इन्द्रियोंकी क्रिया है,
मनकी क्रिया है, प्राणोंकी क्रिया है । चलना-फिरना, उठना-बैठना, सोना-जगना, जाना-आना, लेना-देना आदि किस क्रियापर
आपका वश चलता है ? केवल बातें न सुनकर इसपर गहरा विचार करो ।
आप साक्षात् परमात्माके अंश हैं । आप साकार हैं ही नहीं
! कोई भी साधक साकार
नहीं होता । शरीर साकार होता है । कोई साधक शरीर है ही नहीं । साधक शरीर नहीं होता और शरीर साधक नहीं होता । शरीर तो मर
जायगा । साधक निराकार होता है ।
श्रोता‒जब भगवान्के दर्शनसे कल्याण होता है, तो जिस समय भगवान् राम और कृष्णका अवतार हुआ, उस समय
उनका दर्शन करनेवाले सब मनुष्योंकी मुक्ति हो गयी क्या ?
स्वामीजी‒जिसने भगवान् समझकर दर्शन किया, उसका कल्याण हुआ ।
दुर्योधन भगवान् कृष्णको एक चालाक आदमी समझता था, फिर कैसे मुक्ति
होगी ? दुर्योधनको भगवान्के दर्शन नहीं
हुए प्रत्युत चालाक आदमीके दर्शन हुए । सब जग ईश्वररूप है, तो
क्या इसको देखनेसे सबकी मुक्ति हो गयी ? जैसे इसको देखनेसे मुक्ति
नहीं हुई, ऐसे भगवान् राम और कृष्णको देखनेसे भी सबकी मुक्ति
नहीं हुई ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
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