Jan
02
(गत ब्लॉगसे आगेका)
शरीर, इन्द्रियाँ,
मनके विरुद्ध जो घटना घटती है, उसमें पापोंका ही
नाश होता है‒यह नियम है । अगर मेरी बात नहीं मानोगे तो क्या करोगे, बताओ ! होगा तो वैसे ही, फिर मुफ्तमें दुःख क्यों पाओ !
मैंने आपको दुःख दूर करनेकी बात बतायी है । परिस्थिति तो वही रहेगी,
पर मेरी बात मानो तो आनन्द हो जायगा ! क्या परिस्थितिको
आप मिटा सकते हो ? नहीं मिटा सकते तो फिर दुःख क्यों पाओ ?
श्रोता‒अपमान सहना कोई
सामान्य बात थोड़े ही है ! यदि द्रौपदी अपमान सह लेती तो महाभारतका युद्ध क्यों होता ? अपमानके पीछे ही महाभारत युद्ध हुआ !
स्वामीजी‒तो आप भी युद्ध करो !! युद्ध करनेसे क्या
फायदा होगा ? महाभारतके युद्धसे क्या फायदा हुआ ? उसका नतीजा बुरा ही हुआ । क्या आप भी युद्ध करोगे ? नहीं
करोगे तो मेरी बात मान लो । सब बातोंसे मेरी बात तेज है !
द्रौपदी अपमान नहीं सह सकी, इसलिये युद्ध हुआ‒यह बात नहीं है । आप महाभारत पढ़ो । द्रौपदी और धृष्टद्युम्न‒दोनों कौरवोंका नाश करनेके लिये ही यज्ञकुण्डसे पैदा हुए थे । यज्ञकुण्डसे
प्रकट होते समय द्रौपदी सात वर्षकी थी ।
श्रोता‒आपकी बात समझमें
भी आती है, प्रिय भी लगती है, लेकिन अपमान न सहनेका जो स्वभाव है,
उसे हम बदल नहीं पा रहे हैं ! क्या करें ?
स्वामीजी‒आप एक बार, दो-तीन बार सहो, बदल जायगा । ऐसी कई बातें थीं, जो पहले कठिन थीं, पर आज सुगम हो गयीं । आप विचार करो
तो आपको बहुत फायदा होगा । नहीं सहनेसे नुकसान हो रहा है, सह
लो तो क्या नुकसान होगा ? मैंने ऐसी बातें सही हैं । सहनेमें कठिनता पड़ती है,
पर फायदा होता है । जितने सन्त हुए हैं, सब सहकर
हुए हैं ।
श्रोता‒अपमान करनेवाला
बुरा लगता है !
स्वामीजी-बुरा इसलिये लगता है कि आप मान चाहते
हो । मानकी चाहना छोड़ दो तो बुरा नहीं लगेगा ।
श्रोता‒जब भगवान् हमारे हैं ही, तो फिर प्रार्थना करनेकी क्या जरूरत है
?
स्वामीजी‒कोई जरूरत नहीं । अगर आपका भगवान्में प्रेम है तो प्रार्थना
करनेकी कोई जरूरत नहीं । आपका संसारमें प्रेम है तो भगवान्से
प्रार्थना करो । आपका प्रेम किसमें है ?
गायमें घी तो है ही, पर वह गायके काम नहीं आयेगा । भगवान्
तो हैं ही, पर भगवान्के होते हुए भी दुनिया
दुःख पा रही है ! जो दुःख पा रहे हैं, उनके
लिये क्या भगवान् मर गये ? गंगाजीके किनारे कोई प्यासा मर जाय,
पर जल न पीये तो क्या गंगाजीको दोष लगेगा ? गंगाजी
पासमें बहती हुई भी काम नहीं आयेगी ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मैं नहीं, मेरा नहीं’ पुस्तकसे |