।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
     पौष पूर्णिमा, वि.सं.-२०७४, मंगलवार  
मैं नहीं, मेरा नहीं 


(गत ब्लॉगसे आगेका)

शरीर, इन्द्रियाँ, मनके विरुद्ध जो घटना घटती है, उसमें पापोंका ही नाश होता हैयह नियम है । अगर मेरी बात नहीं मानोगे तो क्या करोगे, बताओ ! होगा तो वैसे ही, फिर मुफ्तमें दुःख क्यों पाओ ! मैंने आपको दुःख दूर करनेकी बात बतायी है । परिस्थिति तो वही रहेगी, पर मेरी बात मानो तो आनन्द हो जायगा ! क्या परिस्थितिको आप मिटा सकते हो ? नहीं मिटा सकते तो फिर दुःख क्यों पाओ ?

श्रोताअपमान सहना कोई सामान्य बात थोड़े ही है ! यदि द्रौपदी अपमान सह लेती तो महाभारतका युद्ध क्यों होता ? अपमानके पीछे ही महाभारत युद्ध हुआ !

स्वामीजीतो आप भी युद्ध करो !! युद्ध करनेसे क्या फायदा होगा ? महाभारतके युद्धसे क्या फायदा हुआ ? उसका नतीजा बुरा ही हुआ । क्या आप भी युद्ध करोगे ? नहीं करोगे तो मेरी बात मान लो । सब बातोंसे मेरी बात तेज है !

द्रौपदी अपमान नहीं सह सकी, इसलिये युद्ध हुआयह बात नहीं है । आप महाभारत पढ़ो । द्रौपदी और धृष्टद्युम्नदोनों कौरवोंका नाश करनेके लिये ही यज्ञकुण्डसे पैदा हुए थे । यज्ञकुण्डसे प्रकट होते समय द्रौपदी सात वर्षकी थी ।

श्रोताआपकी बात समझमें भी आती है, प्रिय भी लगती है, लेकिन अपमान न सहनेका जो स्वभाव है, उसे हम बदल नहीं पा रहे हैं ! क्या करें ?

स्वामीजीआप एक बार, दो-तीन बार सहो, बदल जायगा । ऐसी कई बातें थीं, जो पहले कठिन थीं, पर आज सुगम हो गयीं । आप विचार करो तो आपको बहुत फायदा होगा । नहीं सहनेसे नुकसान हो रहा है, सह लो तो क्या नुकसान होगा ? मैंने ऐसी बातें सही हैं । सहनेमें कठिनता पड़ती है, पर फायदा होता है । जितने सन्त हुए हैं, सब सहकर हुए हैं ।

श्रोताअपमान करनेवाला बुरा लगता है !

स्वामीजी-बुरा इसलिये लगता है कि आप मान चाहते हो । मानकी चाहना छोड़ दो तो बुरा नहीं लगेगा ।

श्रोताजब भगवान् हमारे हैं ही, तो फिर प्रार्थना करनेकी क्या जरूरत है ?

 स्वामीजीकोई जरूरत नहीं । अगर आपका भगवान्में प्रेम है तो प्रार्थना करनेकी कोई जरूरत नहीं । आपका संसारमें प्रेम है तो भगवान्से प्रार्थना करो । आपका प्रेम किसमें है ?



गायमें घी तो है ही, पर वह गायके काम नहीं आयेगा । भगवान् तो हैं ही, पर भगवान्के होते हुए भी दुनिया दुःख पा रही है ! जो दुःख पा रहे हैं, उनके लिये क्या भगवान् मर गये ? गंगाजीके किनारे कोई प्यासा मर जाय, पर जल न पीये तो क्या गंगाजीको दोष लगेगा ? गंगाजी पासमें बहती हुई भी काम नहीं आयेगी ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मैं नहींमेरा नहीं’ पुस्तकसे