।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
शुद्ध ज्येष्ठ सप्तमी, 
                 वि.सं.-२०७५, बुधवार
 अनन्तकी ओर     


श्रोताहरे राम’ मन्त्रमें राम, कृष्ण और हरि‒ तीनोंका नाम आता है तो ध्यान किसका करें ?

स्वामीजी‒विष्णु भगवान्‌का ध्यान करें । राम और कृष्ण खास विष्णु भगवान्‌के ही स्वरूप हैं ।

श्रोता‒स्‍त्रियोंको गलेमें गीताजी रखनी चाहिये क्या ?

स्वामीजी‒कोई खास जरूरत नहीं । गीताजीको कण्ठस्थ रखना बढ़िया है ।

(कर्मचारियोके प्रति‒) मालिकको तंग करके रुपया लेना बड़े पापकी बात है ! एक गाय अपनी प्रसन्नतासे दूध देती है, और एक गायको सुई लगाकर दूध लेते है‒दोनोमें कितना फर्क है ! इसी तरह काम-धंधा करके मालिकको राजी करके पैसा लेना दूधके बराबर है । परन्तु बिना काम किये पैसा लेना खूनके बराबर है ।

आप मिले सो दूध सम, माँग लिया सो पानी ।
 खैंचातानी रक्‍त  सम, यह  सन्तों  की  बानी ॥

देनेवाला अपनी खुशीसे दे, वह अमृतके समान होता है । आप काम साठ-सत्तर रुपयोंका करें और बदलेमें पचास रुपये लें तो वह रुपया ऊँचे दर्जेका होगा, कल्याण करनेवाला होगा । अगर मालिक झूठ, कपट, धोखेबाजी करनेको कहे तो साफ कह दें कि हमने आपको अपने समयकी बिक्री की है, धर्मकी बिक्री नहीं की है । हम समय तो ज्यादा दे सकते हैं, पर धर्म बेचकर पैसा नहीं लेंगे । इससे मालिक और कर्मचारी‒दोनोंका भला है ।

आप उत्साहसे काम करो तो मालिक आपकी गरज करेगा । मैं तो साधु, ब्राह्मण, मजदूर आदि सबके लिये कहता हूँ कि आप अपनी आवश्यकता पैदा कर दो । आप किसीकी गरज न करें, प्रत्युत दूसरा ही आपकी गरज करे । अपने-आपको भगवान्‌का नौकर समझो और सब काम भगवान्‌का ही काम समझकर करो तो आपका जीवन बहुत शुद्ध हो जायगा ।

काम करनेवाले (नौकर अथवा सेवक) छः प्रकारके होते हैं‒

पीर तीर चकरी पथर, और फकीर अमीर ।
जोय जोय राखे पुरुष, यह गुण देख सरीर ॥

१) पीर‒इसे कोई काम कहें तो यह उस बातको काट देता है, २) तीर‒इसे कोई काम कहें तो तीरकी तरह भाग जाता है, फिर लौटकर नहीं आता, ३) चकरी‒यह चक्रकी तरह चट काम करता है, फिर लौटकर आता है, फिर काम करता है । यह उत्तम नौकर होता है, ४) पथर‒ यह पत्थरकी तरह पड़ा रहता है, कोई काम नहीं करता,५) फकीर‒यह मनमें आये तो काम करता है अथवा नहीं करता, ६) अमीर‒इसे कोई काम कहें तो खुद न करके दूसरेको कह देता है ।

जो उत्साहपूर्वक काम करता है, उसको सब चाहते हैं । काम करनेवाला सबको अच्छा लगता है । इसलिये आप जिस क्षेत्रमें जायँ, वहाँ तत्परतासे, उत्साहसे काम करें तो संसारमें आपकी माँग हो ही जायगी । फिर दूसरे आपकी गरज करेंगे, आपको किसीकी गरज नहीं करनी पड़ेगी । चाहे कर्मचारी हो, चाहे नौकर हो, चाहे साधु हो, चाहे साधक हो, चाहे बहन-बेटी हो, सबके लिये यही बात है ।