(गत ब्लॉगसे आगेका)
आप अमल हो । राग-द्वेष, हर्ष-शोक, अनुकूलता-प्रतिकूलताको लेकर जितने विकार हैं, वे सब मल हैं । जितना मल आया है, अवस्थाओंमें आया है । जाग्रत्में मल आया, स्वप्नमें मल आया, सुषुप्तिमें मल (अज्ञान) आया; परन्तु आप तो अमल ही रहे । आप तीनों अवस्थाओंको जाननेवाले रहे । आपमें दोष नहीं है । आप दोषोंके साथ मिलकर अपनेको दोषी मान लेते हो । दोष आगन्तुक हैं और आप आगन्तुक नहीं हैं‒यह प्रत्यक्ष बात है । दोष निरन्तर नहीं रहते, पर आप निरन्तर रहते हैं । शोक-चिन्ता, भय-उद्वेग,राग-द्वेष, हर्ष-शोक‒ये सब आने-जानेवाले हैं और अनित्य हैं‒‘आगमापायिनोऽनित्या-स्तांस्तितिक्षस्व भारत’ (गीता २ । १४) । भगवान्ने कितनी बढ़िया बात कही कि आने-जानेवालोंको सह लो, उनके साथ मिलो मत । सुख भी आने-जानेवाला है, दुःख भी आने-जानेवाला है । परन्तु आप इन आने-जानेवालोंको जाननेवाले हो ।
आप सहजसुखराशि हो । सुषुप्तिमें कोई आफत नहीं रहती, दुःख नहीं रहता । आप रुपयोंके बिना रह सकते हैं,आप भूखे-प्यासे रह सकते हैं, आप सांसारिक भोगोंके बिना रह सकते हैं, पर नींदके बिना नहीं रह सकते । नींदके बिना तो आप पागल हो जाओगे । इसलिये वैद्यजीसे, डाक्टरसे कहते हो कि गोली दे दो, ताकि नींद आ जाय । नींदमें क्या मिलता है ? संसारके अभावका सुख मिलता है । यदि जाग्रत्-अवस्थामें संसारके अभावका ज्ञान हो जाय, संसारसे सम्बन्ध-विच्छेद हो जाय तो जाग्रत्-अवस्थामें ही दुःख मिट जाय;और परमात्मामें स्थिति हो जाय तो आनन्द मिल जाय ! इसको ही मुक्ति कहते हैं ।
दुःख कहाँ है ? दुःख संसारके सम्बन्धमें है । जाग्रत् और स्वप्नमें संसारका सम्बन्ध रहता है, इसलिये शान्ति नहीं मिलती । संसारको भूल जाते हो, तब शान्ति मिलती है । यदि संसारका त्याग और परमात्मामें स्थिति हो जाय तो कितना आनन्द होगा ! भूलनेमात्रसे सुख मिलता है । भूलनेमात्रसे मनको ताकत मिलती है, बुद्धिको ताकत मिलती है, इन्द्रियोंको ताकत मिलती है, शरीरको ताकत मिलती है । परन्तु संसारके साथ रहनेसे मन थकता है, बुद्धि थकती है, इन्द्रियाँ थकती हैं, शरीर थकता है । संसारका अभाव होता है गाढ़ नींदमें । उस नींदके बिना आप आठ पहर भी नहीं रह सकते । आजकलकी एक बात मैंने सुनी है । पहले मारपीट करके अपराधीसे सच बुलाया करते थे । परन्तु आजकल उसको नींद नहीं लेने देते तो वह सच बोल जाता है । वह जाग्रत्से इतना घबरा जाता है कि सच बोल जाता है । मारपीटसे वह इतनी जल्दी सच नहीं बोलता । अत: नींद नहीं लेना कोई मामूली दुःख नहीं है । नींदमें बहुत बड़ा सुख मिलता है । आप कहते हो कि ऐसे सुखसे सोया कि कुछ पता नहीं था । तो दुःख किसका है ? दुःख संसारके सम्बन्धका है । अत: आप सुखराशि हो ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘नित्ययोगकी प्राप्ति’ पुस्तकसे
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