।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि
श्रावण कृष्ण चतुर्थी, वि.सं.२०७३, शनिवार
किसानोंके लिये शिक्षा





(गत ब्लॉगसे आगेका)
आप साक्षात् भगवान्‌के अंश हो‒‘ममैवांशो जीवलोके’ (गीता १५ । ७), ईस्वर अंत जीव अबिनासी । चेतन अमल सहज सुखरासी ॥’ (मानस ७ । ११७ । १) । ऐसे होते हुए भी आप नशेके वशमें हो गये, उसके गुलाम बन गये ! कितने पतनकी बात है ! चिलम-तम्बाकू पीकर पैसोंका धुआँ कर दिया, समयका धुआँ कर दिया, स्वतन्त्रताका धुआँ कर दिया, जीवनका धुआँ कर दिया, स्वास्थ्यका धुआँ कर दिया ! जोधपुरमें मैंने कहा कि जो भाई चिलम पीते हैं, वे मेरेको बता दें कि चिलममें बड़े गुण हैं तो मैं भी खूब मौजसे चिलम खींचना शुरू कर दूँगा ! अगर इसमें बड़ा लाभ है तो मैं पीछे क्यों रहूँ ? परन्तु वास्तवमें कोई लाभ नहीं है, नुकसान-ही-नुकसान है । हमारे यहाँ तो साधुओंमें अगर कोई नशा करे तो उसे पंक्तिमें नहीं बैठाते ।

भाई-बहनोंसे प्रार्थना है कि आप नशा-सेवनसे बचो । आप मेरेपर कृपा करो, अपने-आपपर कृपा करो, अपने बाल-बच्चोंपर कृपा करो । आप व्यसन करोगे तो आपके बच्चे भी वैसा ही सीख जायँगे । बालकपनमें ही उनको व्यसन लग जायगा तो फिर पीछे छूटना मुश्किल हो जायगा । इसलिये सावधान रहो । आजकल बहनें-माताएँ छोटे-छोटे बच्चोंको चाय पीना सिखा देती हैं । आजकलके बच्चे दूध नहीं पीते । बालकपनमें हम दूधमें घी डालकर पिया करते थे । माँसे कहते थे कि दूध लूखा है, इसमें घी डालकर तारा कर दे ! परन्तु आजकल दूधमें मलाई भी दीख जाय तो बच्चे नाक-मुँह सिकोड़ते हैं ! पीछे वे कमजोर ही रहते हैं । आजकल बालकोंको जवानी आती ही नहीं; बालकपनसे सीधे वृद्धावस्थामें चले जाते हैं ! बालकपनमें घी-दूधसे जो ताकत आती है, जो शरीर बनता है, वह वृद्धावस्थामें भी काम देता है । नशेसे तो बच्चे छोटी अवस्थामें ही नष्ट हो जायेंगे ! इसलिये बहनों-माताओंसे प्रार्थना है कि वे बालकोंको चाय पीना, अफीम, पानपराग आदि खाना मत सिखायें । बच्चा बीमार हो जाय, टट्टी लग जाय तो अफीम दे देती हैं, जिससे बड़ा नुकसान होता है । बच्चा बीमार हो तो माँको दवाई लेनी चाहिये, जिससे माँका दूध पीकर बच्चा ठीक हो जाय । वास्तवमें वही माँ कहलानेलायक है ।

मुफ्तमें अपना नुकसान मत करो । भगवान्‌का दिया अन्न-जल लो । साधारण कपड़ा पहनो, जिससे लज्जाका निवारण हो, शीत-घामका निवारण हो । इससे आपके लोक और परलोक दोनोंका सुधार होगा ।

चाहे तो ज्यादा पैदा कर लो और चाहे फालतू खर्चा मिटा दो‒दोनोंका टोटल एक बैठेगा । ज्यादा पैदा करना तो हाथकी बात नहीं है, पर ज्यादा खर्चा नहीं करना, व्यसन नहीं करना हाथकी बात है । इसलिये फालतू खर्चा मत करो और अन्न तथा जलके सिवाय किसी भी नशेका सेवन मत करो ।

निरर्थक बातचीतमें अपना समय बर्बाद मत करो, बैठकर हथाई मत करो । हथाई (निरर्थक बातचीत) करनेमें, चिलम पीनेमें समय बरबाद मत करो, अपनी आदत खराब मत करो ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे पुस्तकसे