आजकी शुभ तिथि–
फाल्गुन पूर्णिमा, वि.सं.–२०६९, बुधवार
पूर्णिमा, श्रीचैतन्यमहाप्रभु-जयन्ती
विषयासक्ति और भगवत्प्रीतिमें भेद
आसक्ति
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प्रीति
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१. अनित्य
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नित्य
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२. उत्पन्न
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अनुत्पन्न
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३. अविवेकसिद्ध
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विवेकसिद्ध
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४. घटती, बढ़ती, मिटती है
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केवल बढ़ती ही है
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५. सिमित
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असीम
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६. परिच्छिन्न
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अपरिच्छिन्न
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७. बाँधती है
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मुक्त करती है
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८. मृत्यु देती है
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अमर करती है
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९. पराधीन करती है
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स्वाधीन करती है
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१०. एकतामें अनेकता दिखाती है
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अनेकतामें एकता दिखाती है
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११.रुलाती है
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हँसाती है
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१२. अप्रसन्नता लाती है
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प्रसन्नता लाती है
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१३.दुःखदायिनी
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सुखदायिनी
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१४.अशान्तिदा
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शान्तिदा
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१५.भयदा
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अभयदा
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१६.आदि-अन्तमें नीरस
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सदा रसवर्द्धिनी
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१७.सबसे निरादर कराती है
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भगवान्से भी आदर कराती है
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१८.मलिनता लाती है
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शुद्धि लाती है
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१९.चिन्ता देती है
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निश्चिन्त करती है
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२०.पतन करती है
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उत्थान करती है
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२१.औरोंके लिये भी दुःखद
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भगवान्के लिये भी सुखद
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२२.सदोष
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निर्दोष
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२३.लेना-ही-लेना
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देना-ही-देना
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२४.अप्राप्त
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प्राप्त
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२५.कृत्रिम
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सहज
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२६.जड़ता
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चिन्मयता
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नारायण ! नारायण !! नारायण !!!
‒ ‘जीवनोपयोगी कल्याण-मार्ग’ पुस्तकसे
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