मनुष्योंके लिये गाय सब दृष्टियोंसे
पालनीय है । गायसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष–इन चारों पुरुषार्थकी सिद्धि होती है ।
आजके अर्थप्रधान युगमें तो
गाय अत्यन्त ही उपयोगी है । गोपालनसे, गायके दूध, घी, गोबर
आदिसे धनकी वृद्धि होती है । हमारा देश कृषिप्रधान है । अतः यहाँ खेतीमें जितनी
प्रधानता बैलोंकी है, उतनी प्रधानता अन्य किसीकी भी नहीं है । भैसोंके द्वारा भी
खेती की जाती है, पर खेतीमें जितना काम बैल कर सकता है, उतना भैंसा नहीं कर सकता ।
भैंसा बलवान् तो होता है, पर वह धूप सहन नहीं कर सकता । धूपमें चलनेसे वह जीभ निकाल देता है, जबकि बैल धूपमें भी चलता रहता है
। कारण कि भैंसेमें सात्त्विक बल नहीं होता, जबकि बैलमें सात्त्विक बल होता है । बैलोंकी अपेक्षा भैंसे कम भी
होते हैं । ऐसे ही ऊँटसे भी खेती की जाती है, पर ऊँट भैसोंसे भी कम होते
हैं और बहुत महँगे होते हैं । खेती करनेवाला हरेक आदमी ऊँट नहीं खरीद सकता । आजकल
अच्छे-अच्छे जवान बैल मारे जानेके कारण बैल भी महँगे हो गये हैं, तो भी वे
ऊँट-जितने महँगे नहीं हैं । यदि घरोंमें गायें रखी जायँ तो बैल घरोंमें ही पैदा हो
जाते हैं, खरीदने नहीं पड़ते । विदेशी गायोंके जो बैल होते हैं, वे खेतीमें काम
नहीं आ सकते; क्योंकि उनके कन्धे न होनेसे उनपर जुआ नहीं रखा जा सकता ।
गाय पवित्र होती है । उसके शरीरका
स्पर्श करनेवाली हवा भी पवित्र होती है । गायके गोबर-मूत्र भी पवित्र होते
हैं । गोबरसे लिपे हुए घरोंमें प्लेग, हैजा आदि भयंकर बीमारियाँ नहीं होतीं । इसके
सिवाय युद्धके समय गोबरसे लिपे हुए मकानोंपर बमका उतना असर नहीं होता, जितना
सीमेंट आदिसे बने हुए मकानोंपर होता है । गोबरमें जहर
खींचनेकी विशेष शक्ति होती है । काशीमें कोई व्यक्ति साँप काटनेसे मर गया ।
लोग उसकी दाह-क्रिया करनेके लिये उसको गंगाके किनारे ले गये । वहाँपर एक साधु रहते
थे । उन्होंने पूछा कि इस व्यक्तिको क्या हुआ ? लोगोंने कहा यह साँप काटनेसे मरा
है । साधुने कहा कि यह मरा नहीं है, तुमलोग
गायका गोबर ले आओ । गोबर लाया गया । साधुने उस व्यक्तिकी नासिका छोड़कर उसके
पूरे शरीरमें (नीचे-ऊपर) गोबरका लेप कर दिया । आधे घण्टेके बाद गोबरका फिर दूसरा
लेप किया । इससे उस व्यक्तिके श्वास चलने लगे और वह जी उठा । हृदयके रोगोंको दूर करनेके लिये गोमूत्र बहुत उपयोगी है । छोटी
बछड़ीका गोमूत्र रोज तोला-दो-तोला पीनेसे पेटके रोग दूर होते हैं । एक सन्तको दमाकी
शिकायत थी, उनको गोमूत्र-सेवनसे बहुत फायदा हुआ है । आजकल तो गोबर और
गोमूत्रसे अनेक रोगोंकी दवाइयाँ बनायी जा रही हैं । गोबरसे गैस भी बनने लगी है ।
जो गैस चूल्हे जलानेमें काम आती है ।
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