रिषि हित राम सुकेतुसुता की ।
सहित सेन सुत कीन्हि
बिबाकी ॥
सहित दोष दुख दास
दुरासा ।
दलइ नामु जिमि रबि निसि नासा ॥
(मानस, बालकाण्ड,
दोहा २४ । ४-५)
ऋषियोंका हित करनेके लिये अर्थात् विश्वामित्रजीका यज्ञ पूर्ण
करनेके लिये उनके आश्रममें भगवान् राम पधारे । वहाँ उन्होंने विश्वामित्र ऋषिके हितके
लिये सुकेतुराजकी लड़की ताड़काको मारा और उसके बेटेसहित उसकी सेनाको नष्ट कर दिया । यह
तो रामजीने किया । अब नाम महाराज क्या करते हैं,
इसको बताते हैं कि भगवान्के दासके सामने दुराशारूपी ताड़का आ
जाय तो ‘राम-राम’ करते ही ताड़का मर जायगी । भगवन्नाम प्रेमपूर्वक लेनेसे सभी बुरी
कामनाएँ नष्ट हो जाती हैं । इस ताड़काके दो बेटे बताये हैं‒दोष और दुःख । दुराशासे ही
दोष और दुःख पैदा होते हैं । दुराशा भीतरसे मिट जाती है तो न दोष बनता है,
न दुःख होता है अर्थात् न पाप बनता है तथा न ही पापोंका फल‒दुःख
होता है । दुराशा मर जाय और इनके बेटे भी मर जायँ । फिर इनकी जो सेना है‒काम,
क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, ईर्ष्या, द्वेष, पाखण्ड झूठ, दम्भ आदि ये कई तरहके राक्षस हैं । ‘राम-राम’ करनेसे ये सेना भी सब-की-सब खतम हो जाती हैं । यह नाम महाराज
सबका नाश कर देते हैं । जैसे सूर्योदय होनेसे रात्रिका नाम-निशान नहीं रहता । रात्रि
आती है, तब सब जगह अँधेरा छा जाता है । बाहर और भीतर सब जगह अँधेरा ठसाठस
भर जाता है मानो इतना भर जाता है कि सूई भी भीतर नहीं जावे । सूर्योदय होते ही अँधेरेकी
जय रामजीकी हो जाती है अर्थात् अँधेरा विदा हो जाता है ।
एक कहानी आती है । एक बार अँधेरेने जाकर ब्रह्माजीसे शिकायत
की कि ‘महाराज ! सूर्यभगवान् मेरेको टिकने नहीं देते । जिस देशमें मैं
जाता हूँ, वहींसे भगा देते हैं । मैं कहाँ जाऊँ?
ऐसा वैर वे मुझसे रखते हैं ।’
ब्रह्माजीने सूर्यसे पूछा‒‘सूर्य महाराज ! आप बेचारे अन्धकारको
क्यों दुःख देते हैं ?’ सूर्यने कहा‒‘महाराज ! उम्रभरमें मैंने उसको देखा ही नहीं ।
दुःख देना तो दूर रहा । हमारा और उसका कैसा वैर ?’ अब देखें कैसे ! वह सूर्यके सामने आता ही नहीं । ऐसे भगवन्नाम
महाराजने दोष, दुःख और दुराशारूपी अँधेरेको देखा ही नहीं । नाम जहाँ आ जाता
है, वहाँसे ये बेचारे सब भाग जाते हैं । रामजीकी अपेक्षा नाम महाराजने कितना बड़ा काम
किया !
भंजेउ राम आपु भव चापू ।
भव भय भंजन नाम प्रतापू ॥
(मानस, बालकाण्ड,
दोहा २४ । ६)
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मानसमें नाम-वन्दना’ पुस्तकसे
|