सादर हरि: स्मरण !
सभी साधु-संतोंसे मेरी
प्रार्थना है कि अभी गायोंकी हत्या जिस निर्ममतासे हो रही है, वैसी तो अंग्रेजों व
मुसलमानोंके साम्राज्यमें भी नहीं होती थी । अब हम सभीको मिलकर इसे रोकनेका
पूर्णरुपसे प्रयास करना चाहिये । इस कार्यको करनेका अभी अवसर है और इसका होना भी
सम्भव है । गायके महत्वको आप लोगोंको क्या बतायें, क्योंकि आप तो स्वयं दूसरोंको
बतानेमें समर्थ हैं । यदि प्रत्येक महन्तजी व मण्डलेश्वरजी चाहें तो हजारों
आदमियोंको गोरक्षाके कार्यहेतु प्रेरित कर सकते हैं । आप सभी मिलकर सरकारके समक्ष
प्रदर्शन कर शीघ्र ही गोवंशके वधको पूरे देशमें रोकनेका कानून बनवा सकते हैं । यदि
साधुसमाज इस पुनीत कार्यको हिन्दू-धर्मकी रक्षाहेतु शीघ्र कर लें तो यह
विश्वमात्रके लिये बड़ा कल्याणकारी होगा । अभी चुनावका समय भी नजदीक है । इस मौकेपर
आप सभी एकमत होकर यह प्रस्ताव पारित कर प्रदर्शन व विचार
करें कि हर भारतीय इस बार अन्य मुद्दोंको दरकिनार कर केवल उसी नेता या दलको अपना
मत दे जो गोवंश-वध अविलम्ब रोकनेका लिखित वायदा करे तथा आश्वस्त करे कि सत्तामें
आते ही वे स्वयं एवं उनका दल सबसे पहला कार्य समूचे देशमें गोवंश-वध बंद करानेका
करेगा ।
देशी नस्लकी विशेष उपकारी गायोंके वशंतकके नष्ट होनेकी
स्थिति पैदा हो रही है, ऐसी स्थितिमें यदि समय रहते चेत नहीं किया गया तो
अपने और अपने देशवासियोंकी क्या दुर्दशा होगी ? इसका अन्दाजा मुश्किल है । आप
इस बातपर विचार करें कि वर्तमानमें जो स्थिति गायोंकी अवहेलना करनेसे उत्पन्न हो
रही है, उसके कितने भयंकर दुष्परिणाम होंगे । अगर स्वतन्त्र भारतमें गायोंकी हत्या-जैसा जघन्य अपराध भी नहीं
रोका जा सकता तो यह कितने आश्चर्य और दु:खका विषय होगा । आप सभी भगवान्को याद करके इस सत्कार्यमें लग जावें
कि हमें तो सर्वप्रथम गोहत्या बन्द करवानी है जिससे सभीका मंगल होगा । इससे बढ़कर
धर्म-प्रचारका और क्या पुण्य-कार्य हो सकता है ।
पुन: सभीसे मेरी विनम्र प्रार्थना है कि आप सभी शीघ्र ही इस उचित समयमें
गायोंकी हत्या रोकनेका एक जनजागरण अभियान चलाते हुए सभी गोभक्तों व
राष्ट्रभक्तोंको जोड़कर सरकारको बाध्य करके बता देवें कि अब तो गोहत्या बन्द करनेके
अतिरिक्त सत्तामें आरुढ़ होनेका कोई दूसरा उपाय नहीं है । साथ ही यह भी स्पष्ट कर
दें कि जनता-जनार्दनने देशमें गोहत्या बंद करानेका दृढ़ संकल्प ले लिया है ।
गायके दर्शन, स्पर्श, छाया, हुँकार व सेवासे कल्याण, सुखद-अनुभव, सद्भाव एवं अन्त:करणकी पवित्रता
प्राप्त होती है । गायके घी, दूध, दही, मक्खन व छाछसे शरीरकी पुष्टि होती है व निरोगता आती
है । गोमूत्र व गोबरसे पञ्चगव्य और विविध औषधियाँ बनाकर काममें लेनेसे अन्न, फल व साग-सब्जियोंको रासायनिक
विषसे बचाया जा सकता है । गायोंके खुरसे उड़नेवाली रज भी पवित्र होती है; जिसे गोधूलि-वेला कहते हैं, उसमें विवाह आदि शुभकार्य उचित
माना जाता है । जन्मसे लेकर अन्तकालतकके सभी धार्मिक संस्कारोंमें पवित्रताहेतु
गोमूत्र व गोबरका बड़ा महत्व है । गायकी महिमा तो आप और हम जितनी बतायें उतनी ही
थोड़ी है, आश्चर्य तो यह है सब कुछ जानते हुए भी गायोंकी
रक्षामें हमारे द्वारा विलम्ब क्यों हो रहा है ? गायकी रक्षा करनेसे भौतिक
विकासके साथ-साथ आर्थिक, व्यावहारिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक एवं अनेकों प्रकारके विकास सम्भव हैं, लेकिन गायकी हत्यासे विनाशके
सिवाय कुछ भी नहीं दिखता है । अत: अब भी यदि हम जागें तो गोहत्याको सभी प्रकारसे
रोककर मानवको होनेवाले विनाशसे बचा सकते हैं । गो-सेवा, रक्षा, संवर्धन तथा गोचर
भूमिकी रक्षा करनेसे पूरे संसारका विकास सम्भव है । आज गोवध करके गोमांसके निर्यातसे
जो धन प्राप्त होता है उससे बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है । इसलिये ऐसे गोहत्यासे
प्राप्त पापमय धनके उपयोगसे कथित विकास ही विनाशकारी हो रहा है । यह बहुत ही
गम्भीर चिन्ताका विषय है ।
अन्तमें सभी साधुसमाजसे मेरी विनम्र प्रार्थना है कि
अब शीघ्र ही आप सभी और जनता मिलकर गोहत्या बन्द करानेका दृढ़ संकल्प लेनेकी कृपा
करें तो हमारा व आपका तथा विश्वमात्रका कल्याण सुनिश्चित है । इसीमें धर्मकी वास्तविक रक्षा है और धर्म-रक्षामें ही हम सबकी
रक्षा है ।
प्रार्थ
(‘कल्याण’ वर्ष-७८, अंक ४) स्वामी रामसुखदास |