(गत ब्लॉगसे आगेका)
प्रश्न‒लोगोंका कहना है कि आसन करनेसे शरीर कृश हो जाता है क्या यह ठीक है ?
उत्तर‒हाँ ठीक है; परन्तु आसनसे शरीर कृश होनेपर भी शरीरमें निर्बलता नहीं आती । आसन करनेसे शरीर नीरोग रहता है, शरीरमें स्कूर्ति आती है, शरीरमें हलकापन रहता है । आसन न करनेसे शरीर स्थूल हो सकता है पर स्थूल होनेसे शरीरमें भारीपन रहता है, शरीरमें शिथिलता आती है, काम करनेमें उत्साह कम होता है, चलने-फिरने आदिमें परिश्रम होता है, उठने-बैठनेमें कठिनता होती है, बिस्तरपर पड़े रहनेका मन करता है, शरीरमें रोग भी ज्यादा होते हैं । अतः शरीरकी स्थूलता इतनी श्रेष्ठ नहीं है, जितनी कृशता श्रेष्ठ है । किसीका शरीर कृश है, पर नीरोग है और किसीका शरीर स्थूल है पर रोगी है, तो दोनोंमें शरीरका कृश होना ही अच्छा है ।
प्रश्न‒आसनोंका व्यायाम करना किन लोगोंके लिये ज्यादा उपयोगी है ?
उत्तर‒जो लोग खेतीका, परिश्रमका काम करते हैं,उनका तो स्वाभाविक ही व्यायाम होता रहता है और उनको हवा भी शुद्ध मिल जाती है; अतः उनके लिये व्यायामकी जरूरत नहीं है । परन्तु जो लोग बौद्धिक काम करते हैं;दूकान, आफिस आदिमें बैठे रहनेका काम करते हैं, उनके लिये आसनोंका व्यायाम करना बहुत उपयोगी होता है ।
प्रश्न‒व्यायाम कितना करना चाहिये ?
उत्तर‒कुश्तीके व्यायाममें तो दण्ड-बैठक करते-करते शरीर गिर जाय, थक जाय तो वह व्यायाम अच्छा होता है । परन्तु आसनोंके व्यायाममें ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहिये,प्रत्युत शरीरमें कुछ परिश्रम मालूम देनेपर आसन करना बन्द कर देना चाहिये । आसनोंका व्यायाम करते समय भी बीच-बीचमें शवासन करते रहना चाहिये ।
प्रश्न‒व्यायाम किस जगह करना चाहिये ?
उत्तर‒जहाँ शुद्ध हवा हो, जंगल हो वहाँ व्यायाम करनेसे विशेष लाभ होता है । कुश्तीके व्यायाममें तो अगर शुद्ध हवा न मिले तो भी काम चल सकता है पर आसनोंके व्यायाममें शुद्ध हवाका होना जरूरी है । जो लोग शहरोंमें रहते हैं, वे लोग मकानकी छतपर अथवा कमरेमें हलका-सा पंखा चलाकर आसन कर सकते हैं ।
प्रश्न‒व्यायाम करनेवालोंको किस वस्तुका सेवन करना चाहिये ?
उत्तर‒कुश्तीका व्यायाम करनेवालोंको दूध, घी आदिका खूब सेवन करना चाहिये । दूध, घी आदि लेते हुए अगर उल्टी हो जाय तो भी उसकी परवाह नहीं करनी चाहिये, पर जितना पचा सकें, उतना तो लेना ही चाहिये । परन्तु आसनोंके व्यायाममें शुद्ध, सात्त्विक तथा थोड़ा आहार करना चाहिये (६ । १७) ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘आहार-शुद्धि’ पुस्तकसे
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