(गत ब्लॉगसे आगेका)
प्रह्लादजीको इतना कष्ट क्यों पाना पड़ा ?प्रह्लादजीने अपना भजन प्रकट कर दिया । अगर वे प्रकट न करते तो उनको इतना कष्ट क्यों पाना पडता ? इस वास्ते अपना भजन प्रकट न करें । किसीको पता ही न होने दें कि यह भगवान्का भजन करता है । बहनों-माताओंको चाहिये कि वे ऐसी गुप्तरीतिसे भगवान्के भजनमें लग जायँ । देखो, गुप्तरीतिसे किया हुआ भजन बड़े महत्त्वका होता है । पाप भी गुप्त किये हुए बड़े भयंकर होते हैं । भजन भी बड़ा लाभदायक होता है । गुप्त दिया हुआ दान भी बड़ा लाभदायक है । गुप्त दान कौन-सा है ? घरवालोंसे छिपाकर देना चोरी है, गुप्त दान नहीं है । गुप्त दान कौन-सा है ? जिसके घरमें चला जाय, उसे पता नहीं चले कि कहोंसे आया है ? किसने दिया है ? देनेवालेका पता न लगे, यह गुप्त दान होता है । घरवालोंसे छिपाकर देना चोरी है । चोरीका पाप होता है ।
एक बार सुबहके प्रवचनमें मैंने कह दिया कि गरीबोंकी सेवा करो । तो एक भाई बोले‒गरीबोकी सेवा करते हैं तो गरीब तंग कर देते हैं महाराज ! तो मैंने कहा‒सेवा इस ढंगसे करो कि उन्हें मालूम न हो कि किसने सेवा की । वह तो आपकी सेवा है, नहीं तो लोगोंमें झंडा फहराते हैं कि हम देते हैं, देते हैं । भीड़ बहुत हो जायगी, लोग लूट लेते हैं,तंग करते हैं । यह सेवाका भाव नहीं है । केवल वाह-वाह लेनी है और कुछ नहीं है ।
भीतरका भाव हो जाय कि इनके घर कैसे चीज पहुँचे ? किस तरहसे इनकी सहायता हो जाय । कैसे गुप्त दिया जाय, तो उस दानका माहात्म्य है । ऐसे ही गुप्तरीतिसे भजन हो । भगवान्के नामका जप भीतर-ही-भीतर हो । नामजप भीतरसे नहीं होता है तो बोलकर करो, कोई परवाह नहीं;पर भाव दिखावटीपनका नहीं होना चाहिये । कोई देख भी ले, तो वह इतना दोष नहीं है, प्रत्युत दिखावेका भाव महान् दोष है । आप नित्य-निरन्तर भजनमें लग जाओ । कहीं कोई देख भी ले तो सावधान हो जाओ । उसके लिये यह नहीं कि हमारा भजन ही बंद हो जाय ।
(१) भगवान्के होकर भजन करें, (२) भगवान्का ध्यान करते हुए भजन करें, (३) गुप्तरीतिसे करें, (४) निरन्तर करें, क्योंकि बीचमें छूटनेसे भजन इतना बढ़िया नहीं होता । निरन्तर करनेसे एक शक्ति पैदा होती है । जैसे, बहनें-माताएँ रसोई बनाती हैं ? तो रसोई बनावें तो दस-पंद्रह मिनट बनाकर छोड़ दें, फिर घंटाभर बादमें शुरू करें । फिर थोड़ी देर बनावें, फिर घंटाभर ठहरकर करने लगें । इस प्रकार करनेसे क्या रसोई बन जायगी ? दिन बीत जायगा, पर रसोई नहीं बनेगी । लगातार किया जाय तो चट बन जायगी । ऐसे ही भगवान्का भजन लगातार हो, निरन्तर हो, छूटे नहीं, रात-दिन, सुबह-शाम कभी भी छूटे नहीं ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘भगवन्नाम’ पुस्तकसे
|