।। श्रीहरिः ।।

आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद शुक्ल पंचमीवि.सं.२०७१शनिवार
ऋषिपंचमी
नाम-जपकी विधि



 (गत ब्लॉगसे आगेका)
प्रह्लादजीको इतना कष्ट क्यों पाना पड़ा ?प्रह्लादजीने अपना भजन प्रकट कर दिया । अगर वे प्रकट न करते तो उनको इतना कष्ट क्यों पाना पडता इस वास्ते अपना भजन प्रकट न करें । किसीको पता ही न होने दें कि यह भगवान्‌का भजन करता है । बहनों-माताओंको चाहिये कि वे ऐसी गुप्तरीतिसे भगवान्‌के भजनमें लग जायँ । देखोगुप्तरीतिसे किया हुआ भजन बड़े महत्त्वका होता है । पाप भी गुप्त किये हुए बड़े भयंकर होते हैं । भजन भी बड़ा लाभदायक होता है । गुप्त दिया हुआ दान भी बड़ा लाभदायक है । गुप्त दान कौन-सा है घरवालोंसे छिपाकर देना चोरी हैगुप्त दान नहीं है । गुप्त दान कौन-सा है जिसके घरमें चला जायउसे पता नहीं चले कि कहोंसे आया है किसने दिया है देनेवालेका पता न लगेयह गुप्त दान होता है । घरवालोंसे छिपाकर देना चोरी है । चोरीका पाप होता है ।

एक बार सुबहके प्रवचनमें मैंने कह दिया कि गरीबोंकी सेवा करो । तो एक भाई बोले‒गरीबोकी सेवा करते हैं तो गरीब तंग कर देते हैं महाराज ! तो मैंने कहा‒सेवा इस ढंगसे करो कि उन्हें मालूम न हो कि किसने सेवा की । वह तो आपकी सेवा हैनहीं तो लोगोंमें झंडा फहराते हैं कि हम देते हैंदेते हैं । भीड़ बहुत हो जायगीलोग लूट लेते हैं,तंग करते हैं । यह सेवाका भाव नहीं है । केवल वाह-वाह लेनी है और कुछ नहीं है ।

भीतरका भाव हो जाय कि इनके घर कैसे चीज पहुँचे किस तरहसे इनकी सहायता हो जाय । कैसे गुप्त दिया जायतो उस दानका माहात्म्य है । ऐसे ही गुप्तरीतिसे भजन हो । भगवान्‌के नामका जप भीतर-ही-भीतर हो । नामजप भीतरसे नहीं होता है तो बोलकर करोकोई परवाह नहीं;पर भाव दिखावटीपनका नहीं होना चाहिये । कोई देख भी लेतो वह इतना दोष नहीं हैप्रत्युत दिखावेका भाव महान् दोष है । आप नित्य-निरन्तर भजनमें लग जाओ । कहीं कोई देख भी ले तो सावधान हो जाओ । उसके लिये यह नहीं कि हमारा भजन ही बंद हो जाय ।

(१) भगवान्‌के होकर भजन करें, (२) भगवान्‌का ध्यान करते हुए भजन करें, (३) गुप्तरीतिसे करें, (४) निरन्तर करेंक्योंकि बीचमें छूटनेसे भजन इतना बढ़िया नहीं होता । निरन्तर करनेसे एक शक्ति पैदा होती है । जैसेबहनें-माताएँ रसोई बनाती हैं ? तो रसोई बनावें तो दस-पंद्रह मिनट बनाकर छोड़ देंफिर घंटाभर बादमें शुरू करें । फिर थोड़ी देर बनावेंफिर घंटाभर ठहरकर करने लगें । इस प्रकार करनेसे क्या रसोई बन जायगी दिन बीत जायगापर रसोई नहीं बनेगी । लगातार किया जाय तो चट बन जायगी । ऐसे ही भगवान्‌का भजन लगातार होनिरन्तर होछूटे नहींरात-दिनसुबह-शाम कभी भी छूटे नहीं ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘भगवन्नाम’ पुस्तकसे