(गत ब्लॉगसे आगेका)
कुछ लोग कहते हैं कि पहले जो पाप कर लिया, वह पाप तो हो ही
गया, कलंक तो लग ही गया; अब धन क्यों छोड़ें ? यह बुद्धिमानी है क्या ? अरे भाई !
जैसे आप भोजन करने लगे । आपसे कहे कि यह क्या
कर रहे हो ? इसमें जहर मिला है । आप यह नहीं कहेंगे कि आपने पहले नहीं कहा,
अब तो खायेंगे ही । तुरंत हाथके भोजन फेंक देंगे और उलटी करना शुरू करोगे, खाया हुआ भी निकल जाय तो बड़ा अच्छा है ।
श्रोता–महाराज ! आपको पता नहीं । आजकल
झूठ-कपटके बिना निर्वाह नहीं हो सकता । कानून ऐसा बन गया, संसार ऐसा ही हो गया ।
इसलिए इसके बिना काम नहीं चलता ।
स्वामीजी–अच्छा
भाई ! काम चलाओ, कितने दिन चलाओगे ? बीस वर्ष, पचास वर्ष, सौ वर्ष; कितने दिन चलाओगे
? इतना तो समय ही नहीं मिलता ।
श्रोता–अगर नहीं कमायेंगे तो मर जायेंगे
।
स्वामीजी–क्या
हर्ज है भाई ! आज बिना पापके मर जाओ । बादमें भी मरना तो
है ही, साथमें पापकी गठरी बाँधकर क्या करोगे ? अरे भाई ! बिना पाप ही मर जाओ, क्या हर्ज है ? पाप करनेके लिये मानव-शरीर मिला है
क्या ? पाप नहीं करेंगे, अन्याय नहीं करेंगे; भगवान्की तरफ बढ़ेंगे–इस
प्रकार निश्चय करके बहुत-से लोगोंने मुक्ति पायी है । भाई ! समय अच्छे काममें
लगाओ, उत्तम काम करो । नीचा काम मत करो । हर भाई-बहिनको
चाहिये कि पाप नहीं करें । अंतःकरणको निर्मल रखो । यह जीवन पवित्र हो जाय, इसलिए
यह मानव-शरीर मिला है । अतः उत्तम-से-उत्तम काममें लगे रहना है । अन्यायपूर्वक काम
नहीं करना है । ईमानदारीसे अपना जीवन-निर्वाह कर
लेना है ।
आजकल शादीमें लड़कोंकी नीलामी
होती है नीलामी ! लड़कीका पिता बेचारा स्वयं तो शर्माता है, दूसरोंसे कहता
है कि उनके लड़का है, आप बात करो कि हमारी कन्यासे सम्बन्ध कर लें । पूछते हैं,
अमुककी लड़की है, आप सम्बन्ध कर लो । जवाबमें, पन्द्रह हजार रुपये कीमत । राम ! राम
! राम ! आज ऐसी दशा है ! कन्याओंका ऐसा तिरस्कार ! ऐसे
स्त्री-जातिका तिरस्कार करना ठीक नहीं । किस
बात पर हुआ ? पैसोंके बदले । अरे ! पैसे तो आज हैं कल नहीं । पैसे तो नष्ट
होनेवाले हैं । कितनी बड़ी भारी दुःखकी बात है, पैसोंके बदले मनुष्यका तिरस्कार ।
बड़े पापकी बात है, अन्यायकी बात है । भाइयों और बहिनोंसे कहना है कि लड़का ब्याहना हो तो गरीब घरकी लड़की लो । वह
काम-धन्धा करेगी, अच्छा व्यवहार करेगी । बड़े घरकी लड़की काम-धन्धा तो करेगी नहीं,
मालिकन बन जायगी ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
—‘जीवनोपयोगी प्रवचन’ पुस्तकसे |