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।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
भाद्रपद कृष्ण तृतीया, वि.सं.२०७२, मंगलवार
कज्जली तृतीया (बहुलाव्रत)
विचार करें


(गत ब्लॉगसे आगेका)
प्रत्येक व्यक्तिको विचार करना चाहिये कि हमें कौन अच्छा लगता है ? जो भगवान्में, उनके भजन-स्मरणमें लगाता है, वह अच्छा लगता है कि जो संसारमें लगाता है, वह अच्छा लगता है ? जो वस्तु सदा साथ नहीं रहती, वह अच्छी लगती है कि जो सदा साथ रहती है, वह अच्छी लगती है ? शरीर-संसार हमारे साथ नहीं रहते और हम उनके साथ नहीं रहते । परन्तु धर्म हमारे साथ रहता है, ईश्वर हमारे साथ रहता है, न्याय हमारे साथ रहता है, सच्चाई हमारे साथ रहती है । विचार करें कि हम सच बोलते हैं कि झूठ बोलते हैं ? हमें न्याय अच्छा लगता है कि अन्याय अच्छा लगता है ? ईमानदारी अच्छी लगती है कि बेईमानी अच्छी लगती है ? हमें अन्याय अच्छा लगता है तो उसका फल क्या होगा ? भोग अच्छे लगते हैं तो उसका फल क्या होगा ? भोग भोगनेसे हमें लाभ हुआ है कि नुकसान हुआ है ? अपने जीवनको सँभाले और सोचें कि हम क्या कर रहे हैं ? किधर जा रहे हैं ? हमें क्या अच्छा लगता है ? भगवान्का भजन अच्छा लगता है कि संसार (भोग और संग्रह) अच्छा लगता है ? संसार क्या फायदा करता है और भगवान् क्या नुकसान करते हैं ? पाप क्या फायदा करता है और धर्म क्या नुकसान करता है ? विचार करें, देखें, सोचें

संसार साथी सब स्वार्थ के हैं,
पक्के विरोधी  परमार्थ के  हैं ।
देगा  न  कोई दुःख में  सहारा,
सुन तू किसी की मत बात प्यारा ॥

भजन-स्मरण करें तो घरवाले राजी नहीं होंगे । पर झूठ, कपट, बेईमानी करें तो घरवाले राजी हो जायँगे । विचार करो कि वे आपके फायदेमें राजी होते हैं कि आपके नुकसानमें राजी होते हैं ? इस तरफ ध्यान दो कि आपका भला चाहनेवाले और भला करनेवाले कौन-कौन हैं ? भगवान्ने हमें शरीर दिया है, पदार्थ दिये हैं, पर सब कुछ देकर भी वे हमारेपर एहसान नहीं करते । परन्तु संसार थोड़ा-सा काम करता है तो कितना एहसान करता है ? वह तो अच्छा लगता है, पर भगवान् अच्छे नहीं लगते ! भगवान्ने शरीर दिया, आँखें दीं, हाथ दिये, पाँव दिये, बुद्धि दी, विवेक दिया, सब कुछ दिया, उनसे सुख पाते हैं और भगवान्को याद ही नहीं करते ! भगवान्से मिली हुई चीज तो अच्छी लगती है, पर भगवान् अच्छे नहीं लगते । क्या यह उचित है ? स्वयं विचार करें । महाभारतमें आया हैयस्य स्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् । विमुचते........॥’ ‘जिनको याद करनेमात्रसे संसारका जन्म-मरणरूप बन्धन छूट जाता है ।’ भगवान्को याद करनेसे ही संसारके दुःख छूट जाते हैं ! कुछ मत करो, कोई चीज मत दो, केवल याद करो तो भगवान् राजी हो जाते हैं‘अच्युतः स्मृतिमात्रेण ।’

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘सत्यकी खोज’ पुस्तकसे