किसीने पूछा है कि अनजानपनेमें नसबन्दी करवा ली तो इसका प्रायश्चित्त
क्या है ? इस विषयमें जोधपुरके एक डॉक्टरने बताया था कि नसबन्दी वापिस
खुल सकती है, ठीक हो सकती है और जिन्होंने ऐसा किया है,
उनकी फिर सन्तान भी हुई है । अतः अच्छे डॉक्टरसे नसबन्दी पुन:
ठीक करा लेनी चाहिये । इसका प्रायश्चित्त यह है कि अब नसबन्दी
कभी नहीं कराऊँगा और दूसरोंको ऐसा करनेकी सलाह भी नहीं दूँगा‒ऐसा निश्चय कर लें । सच्चा
पश्चात्ताप हो जाय तो प्रायश्चित्त हो जाता है अर्थात् मेरेसे भूल हो गयी, अब ऐसी
भूल कभी नहीं करूँगा‒ऐसा कहकर भगवान्से माफी माँग लें और आगे वैसी भूल न करें तो प्रायश्चित्त
हो जाता है ।
कर्मोंका पूरा फल भोगकर मुक्त हो जायँ‒यह असम्भव
बात है । जब कभी मुक्ति होती है, भगवान्की कृपासे ही होती है । उनके माफ कर देनेसे
ही होती है । भगवान्की कृपासे
क्या नहीं हो सकता ? सच्चे हृदयसे पश्चात्ताप हो तो भगवान् माफ कर देते हैं ।
दूसरी बात यह आयी है कि कई लोग गर्भपात,
भ्रूणहत्या इस कारण करते हैं कि लड़कियों ज्यादा हो जायँगी तो
दहेज कहाँसे देंगे ! अगर धनी आदमी कृपा करें और दहेज लेना छोड़ दें तो यह महापाप (भ्रूणहत्या)
मिट सकता है । धनी आदमी ही दहेजके ज्यादा भूखे होते हैं । अन्याय भी ज्यादा वे करते
हैं, जिनके पास पैसे ज्यादा हैं । अतः कृपा करके कम-से-कम
यह बात मान लो, परायी चीज लेनेकी इच्छा मत रखो । यद्यपि हम परायी रोटी खाते हैं,
पराया कपड़ा पहनते हैं,
परायी पुस्तक पढ़ते हैं,
पराये मकानमें रहते हैं,
पराये किरायेसे भ्रमण करते हैं,
तथापि यह देनेवालेकी इच्छापर निर्भर है । हम परायी चीज लेनेकी
इच्छा नहीं रखते ।
हमने सन्तोंसे सुना है कि पाँच प्रकारकी वृत्ति (भिक्षा)-में
सबसे बढ़िया माधुकरी वृत्ति है । बढ़िया क्यों है ?
कि उसमें देनेवालेकी प्रसन्नता है । जिसमें देनेवालेकी प्रसन्नता होती है, वह चीज
पवित्र होती है । जिसमें लेनेवालेकी इच्छा होती है, वह चीज
पवित्र नहीं होती । मेरे सामने
किसीने एक सन्तसे प्रश्र किया कि बढ़िया भोजन कौन-सा है ?
तो सन्तने उत्तर दिया कि जिसमें खानेवालेकी अपेक्षा खिलानेवालेको
ज्यादा आनन्द आये, वह भोजन बढ़िया होता है । जिसमें खानेवाला और खिलानेवाला दोनों
राजी होते हैं, वह भोजन मध्यम दर्जेका होता है । जिसमें खानेवालेको ज्यादा आनन्द
आये, खिलानेवालेको नहीं, वह भोजन सबसे निकृष्ट होता है । बाघ गायको मारकर खाये तो गायको
आनन्द आता है क्या ? यह तो बड़ी हत्या है !
(शेष आगेके
ब्लॉगमें)
‒'मातृशक्तिका घोर अपमान' पुस्तकसे
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