(गत ब्लॉगसे आगेका)
जो स्त्रियों नसबन्दी ऑपरेशन करा लेती हैं,
उनका स्त्रीत्व अर्थात् गर्भ-धारण करनेकी शक्ति नष्ट हो जाती
है । ऐसी स्त्रियोंका दर्शन भी अशुभ है, अपशकुन
है । भगवान्की दी हुई शक्तिका नाश करनेका किसीको भी अधिकार नहीं है । उसका नाश करना
अनधिकार चेष्टा है, अपराध है । जिन्होंने ऑपरेशनके द्वारा अपना स्त्रीत्व नष्ट किया है,
वे तो पापकी भागिनी हैं ही,
पर जो दूसरोंको ऑपरेशन करवानेकी प्रेरणा करती हैं,
आग्रह करती हैं, वे नया पाप करती हैं । जैसे गीताके अध्ययनका बड़ा माहात्म्य है,
पर उससे भी अधिक गीताके प्रचारका माहात्म्य है (गीता १८ । ६९),
ऐसे ही जो दूसरोंमें ऑपरेशनका प्रचार करती हैं,
वे बड़ा भारी पाप करती हैं और गोघातकोंकी संख्या बढ़ानेमें सहायक
होनेसे गोहत्याके पापमें भागीदार होती हैं । भोली बहनोंको इस बातका पता नहीं है, इसलिये
वे अनजानमें बड़ा भारी अपराध, पाप कर बैठती हैं । उन्हें इस पापसे बचना चाहिये ।
जो कोई भी किसी प्रकारका अपराध करता है, उसकी
प्राण-शक्तिका जल्दी नाश हो जाता है और उसकी मृत्यु जल्दी हो जाती है । अपराध, पाप करनेपर अथवा उसको करनेकी मनमें आनेपर श्वास तेजीसे चलने
लगते हैं, प्राण क्षुब्ध हो जाता है‒यह प्रत्यक्ष बात है । कोई भी अनुभव
करके देख सकता है ।
नसबन्दी ऑपरेशन कराना व्यभिचारको खुला अवसर देना
है, जो बड़ा भारी पाप है । पशुओंकी बलि देने, वध करनेको ‘अभिचार’ कहते हैं । उससे भी जो विशेष अभिचार होता है उसको ‘व्यभिचार’
कहते हैं । इससे मनुष्यकी धार्मिक,
पारमार्थिक रुचि (भावना) नष्ट हो जाती है और उसका महान् पतन
हो जाता है ।
मनुष्य-शरीर केवल परमात्मप्राप्तिके लिये ही मिला
है, पर उसको परमात्माकी तरफ न लगाकर केवल भोग भोगनेमें
ही लगाना और इतना ही नहीं, केवल भोग भोगनेके लिये बड़े-बड़े पाप करना, गर्भपात
करना, नसबन्दी करना, ऑपरेशन
करना कितने भारी अनर्थकी बात है ! गर्भपात, नसबन्दी
आदि करनेसे सिवाय भोग भोगनेके और क्या सिद्ध होता है ? नसबन्दीसे
क्या किसीको कोई धार्मिक-पारमार्थिक लाभ हुआ है, होगा
और हो सकता है ? नसबन्दी करनेसे केवल भोगपरायणता ही बढ़ रही है । जितनी
भोगपरायणता आज मनुष्योंमें हो रही है,
उतनी पशुओंमें भी नहीं है । यदि आप सन्तान नहीं चाहते तो संयम रखो,
जिससे आपके शरीरमें बल रहेगा,
उत्साह रहेगा और आपमें धर्म-परायणता,
ईश्वर-परायणता आयेगी । आपका मनुष्यजन्म सफल हो जायगा ।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘गृहस्थमें कैसे रहें ?’ पुस्तकसे
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