श्रोता‒अब
जीवन तो समाप्त हो चला ! थोड़ा-सा समय है । क्या इस समयमें हम अपना कल्याण कर सकते हैं ?
स्वामीजी‒जरूर कर सकते हैं । कल्याणके सिवाय हमारी कोई भी चाह न हो तो कल्याण जरूर हो जायगा
। इसके लिये ज्यादा समयकी जरूरत नहीं है । भीतरका भाव कल्याणका होना चाहिये । आगे जितना समय बचा है, इसमें
सिवाय भगवद्भजनके और हम कुछ नहीं करेंगे‒ऐसा विचार हो जाय तो जरूर कल्याण हो जायगा
।
श्रोता‒संसारकी
वासनाका त्याग कैसे हो ?
स्वामीजी‒‘हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं त्याग कर नहीं सकता ! हे प्रभो ! मैं क्या करूँ
!’ ऐसे आठों पहर भगवान्को पुकारो; त्याग हो जायगा ।
पूजन मनुष्यका नहीं, भगवान्का ही होना चाहिये । आरती करनी हो तो भगवान्की ही करो ।
एक परमात्मप्राप्तिका पक्का उद्देश्य बन जाय तो काम,
क्रोध आदि सब दोष दूर हो जाते हैं । आपको कल्याणके योग्य समझकर ही भगवान्ने मनुष्यशरीर दिया है
। यह अन्य योनियोंकी तरह नहीं है । अतः आपको अपने कल्याणका,
परमात्मप्राप्तिका ही उद्देश्य रखना चाहिये । संसारमें कोई अफसर
किसी मनुष्यको किसी कार्यपर नियुक्त करता है तो उसकी योग्यता देखकर करता है । क्या
अपढ़ आदमीको कोई हेडमास्टर बना देगा
? जब मनुष्योंमें भी योग्यता
देखकर ही पद दिया जाता है तो क्या भगवान् बिना योग्यताके मनुष्यजन्म दे देंगे
? क्या कोई आदमी कह सकता है कि
मैंने अपनी मरजीसे यहाँ जन्म लिया है ? अतः आप सब-के-सब परमात्माको प्राप्त कर सकते हैं । ऐसी योग्यता
आप सबमें है, तभी आपको मनुष्यशरीर मिला है ।
जब आपका उद्देश्य परमात्मप्राप्तिका हो जायगा,
तब काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि दोष नहीं रहेंगे । सब गुण अपने-आप आ जायँगे । ये दोष
तो उनमें रहते हैं, जिनका उद्देश्य संसार है । मेरी समझसे भाई-बहन प्रायः बिना उद्देश्य
चलते हैं ! घरसे तो निकल गये, पर कहाँ जाना है‒यह विचार नहीं है तो क्या दशा होगी
? किसीसे पूछें कि मार्ग बताओ
। वह कहे कि कहाँका ? कहींका बता दो । तो फिर कहीं चले जाओ,
मार्ग बतानेकी क्या जरूरत है
? अगर आपका उद्देश्य परमात्मप्राप्तिका
बन जायगा तो आप तरह-तरहके कामोंमें उलझोगे नहीं । अगर उद्देश्य नहीं बनाओगे तो उलझते
ही रहोगे ! मैं कितना बताऊँगा ! सत्संग करनेपर भी कल्याण
तभी होगा, जब आप उद्देश्य बनाओगे । उद्देश्य बनानेपर हरेक कथा-सत्संगमें आप उलझोगे नहीं । जहाँ
विशेष पारमार्थिक बात मिलेगी, वहीं सत्संग करोगे,
और जगह उलझोगे नहीं । उद्देश्य बननेपर आपकी बुद्धि स्वतः शुद्ध
होगी । आपको मार्ग स्वतः मिलेगा ।
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