गया हुआ धन पुनः प्राप्त हो सकता है, पर गया
हुआ समय पुनः प्राप्त नहीं होता । धनकी तरह समयको तिजोरीमें बन्द करके भी नहीं रख
सकते । अतः हर समय सावधान रहकर समयका सदुपयोग करना चाहिये । ❇❇❇ ❇❇❇ पैसोंको तो तिजोरीमें बन्द करके रखा जा सकता
है, पर समयको बन्द करके नहीं रखा जा सकता । अतः अपने अमूल्य समयको व्यर्थके
कामोंमें खर्च नहीं करना चाहिये । ❇❇❇ ❇❇❇ समयका सदुपयोग न करनेवाला व्यक्ति किसी भी क्षेत्रमें
सफल नहीं हो सकता । ❇❇❇ ❇❇❇ देखनेमें तो ऐसा दीखता है कि समय जा रहा है,
पर वास्तवमें शरीर जा रहा है ! ❇❇❇ ❇❇❇ विचार करें कि जो समय
चला गया, उस समयके सदुपयोगसे हम परमात्मप्राप्तिके मार्गपर कितना आगे बढ़े हैं ? ❇❇❇ ❇❇❇ भगवान्से विमुख होनेपर ही मनुष्य करने,
जानने और पानेकी कमीका अनुभव करता है । ❇❇❇ ❇❇❇ परमात्मतत्त्वसे विमुख हुए बिना कोई सांसारिक
भोग भोगा ही नहीं जा सकता और रागपूर्वक सांसारिक भोग भोगनेसे मनुष्य परमात्मासे
विमुख हो ही जाता है । ❇❇❇ ❇❇❇ भगवान्से विमुख होते
ही जीव अनाथ हो जाता है । ❇❇❇ ❇❇❇ जो जगत्को नहीं जानते,
वही जगत्में फँसते हैं और जो परमात्माको नहीं जानते, वही परमात्मासे विमुख होते
हैं । ❇❇❇ ❇❇❇ संसारसे कुछ लेनेकी इच्छा करते ही हम भगवान्से
विमुख हो जाते हैं ।
‒ ‘अमृत-बिन्दु’ पुस्तकसे |