ईश्वरः सर्वभूतानां
हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति । भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया ॥ (गीता १८/६१) इसका अर्थ हुआ कि ईश्वर सम्पूर्ण प्राणियोंको अपनी मायासे
भ्रमण कराते हुए सब प्राणियोंके हृदयमें स्थित हैं । तो प्रश्न उठता है कि सब कुछ
ईश्वर ही कराते हैं क्या ? तो अब इसका उत्तर सुनिये । एक होता है
‘करना’ और एक होता है ‘होना’ । तो करनेमें तो हम सबका
अधिकार है; परन्तु होनेमें अधिकार नहीं । भगवान् कहते हैं‒ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा
ते संगोस्त्वकर्मणि ॥ (गीता २/४७) तेरा कर्म करनेमें अधिकार है, फलमें कभी नहीं
। इसलिये तू कर्मके फलका हेतु मत बन और तेरी अकर्मण्यतामें भी आसक्ति न हो । एक तो हम करते हैं और एक होता है । तो कर्म तो हम करते हैं
और फल होता है । करनेमें जो कर्तृत्व अभिमान रहता है, वही अगाड़ी (आगे) फलभोगमें
परिणत होता है । परन्तु कर्तृत्वरहित जो क्रिया होती है, वह कर्म नहीं बनती और न
फलभोगमें परिणत होती है । हम जो काम करते हैं
वह कामना तथा आसक्ति लेकर करते हैं और जो होता है वह भगवान्द्वारा बनाये हुए
विधानसे होता है । करनेमें मनुष्यको सावधान रहना चाहिये और होनेमें प्रसन्न
रहना चाहिये । करनेमें सावधानीका तात्पर्य है कि
कर्तृत्व-अभिमान तथा फलकी इच्छाका त्याग करके अपनी पूरी शक्ति तथा सामर्थ्यसे
कार्य करें, क्योंकि कर्तृत्व-अभिमान और फलेच्छाको रखकर जो कर्म किया जाता
है, वह बाँधनेवाला होता है । परन्तु‒ यस्य नाहंकृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते । हत्वापि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते ॥ (गीता १८/१७) जिसके अहंकृत भाव नहीं है और बुद्धिका लेप, आसक्ति, कामना
आदि नहीं है वह सब लोकोंको मारकर भी न तो मारता है और न बँधता है; क्योंकि उसमें
कर्तृत्व तथा भोक्तृत्व नहीं है । अतः करनेमें सावधान
रहनेका अर्थ हुआ कि कर्तापनके अभिमानका और भोग-इच्छा दोनोंका त्याग करे ।
वह कर्तापन और भोक्तापन भगवान्का बनाया हुआ नहीं है, यह जीवने स्वयं बनाया है‒ न कर्तृत्वं न कर्माणि लोकस्य सृजति प्रभु । न
कर्मफलसंयोगं स्वभावस्तु प्रवर्तते ॥ (गीता ५/१४) परमात्मा न तो कर्तृत्वको पैदा करते हैं, न कर्मोंको करवाते हैं कि अमुक-अमुक काम तुम करो और न कर्मके फलके साथ सम्बन्ध करवाते हैं कि यह कर्म करनेसे तुम्हें यह फल मिलेगा । यह भगवान्की रचना की हुई नहीं है । कर्तृत्व इसने स्वयं बनाया है, कर्म स्वयं करता है और फलका भागी स्वयं बनता है । |