।। श्रीहरिः ।।

                          


आजकी शुभ तिथि–
       वैशाख कृष्ण षष्ठी, वि.सं.२०७८ रविवार
          सब कुछ परमात्माका है


भगवान्‌ने गीतामें कहा है‒

वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः ॥

                     (७/१९)

अर्थात्‌ ‘सब कुछ परमात्मा ही हैं’‒ऐसा अनुभव करनेवाला महात्मा अत्यन्त दुर्लभ है । दुर्लभ होनेके कारण यह बात हमारे माननेमें नहीं आती तो कोई हर्ज नहीं । आपके भीतर यह इच्छा जाग्रत रहनी चाहिये कि यह बात हमारे माननेमें कैसे आये ! एकान्तमें, अकेले बैठकर विचार करो । सच्ची बातको स्वीकार कर लो तो जिसको भगवान्‌ने दुर्लभ महात्मा कहा है, वह महात्मा आप बन जाओगे । सच्ची बातको काटनेकी चेष्टा न करके जाननेकी चेष्टा करो । आपका व्यवहार भी ठीक हो जायगा, परमार्थ भी ठीक हो जायगा । सच्ची बातको स्वीकार कर लो तो वह माननेमें आ ही जायगी, चाहे आज आ जाय या दिनोंके बाद, महिनोंके बाद अथवा वर्षोंके बाद ! सच्ची बात अनुभवमें आयेगी ही‒यह नियम है । इसलिये सच्ची बातको आज ही और अभी स्वीकार कर लो ।

सब कुछ परमत्मा ही हैं‒इस बातको स्वीकार करना है । सच्ची बातको स्वीकार करनेमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिये । आप मानो चाहे नहीं मानो, सच्ची बात अन्तमें सच्ची ही रहेगी । अगर आप मान लो तो बड़ा भारी लाभ है । अगर आज मान लो और आज ही मृत्यु हो जाय तो मानी हुई बात नष्ट नहीं होगी । सच्ची बातकी जितनी स्वीकृति हो गयी, उतनी स्वीकृति किसी भी जन्ममें मिटेगी नहीं । किसी भी जन्ममें जाओ, वहीं तैयार मिल जायगी‒‘पूर्वाभ्यासेन तेनैव ह्रियते ह्यवशोऽपि सः’ (गीता ६/४४) । सच्ची बात आपने जितनी स्वीकार कर ली, उतनी आपके पास पूँजी हो गयी । अब वह कभी मिटेगी नहीं । सत्संगके संस्कार कभी मिटते नहीं । आप चाहें तो इसी जन्ममें सच्ची बातकी स्वीकृति हो जायगी । सच्ची बात कभी मिटती नहीं और झूठी बात टिकती नहीं । हरदम इस बातका मनन करो कि सच्ची बात यही है तो चट काम हो जायगा । जैसे दूर कोई मन्दिर हो और वहाँ जानेका सीधा रस्ता हो तो हम वहाँ पहुँच ही जायँगे । ऐसे ही हमें ‘वासुदेवः सर्वम्’ (सब कुछ परमात्मा ही है)‒यहाँतक पहुँचना है । कारण कि अन्तिम, सर्वश्रेष्ठ और सच्ची बात यही है । यह भगवान्‌के वचन हैं । भगवान्‌के समान हमारा सुहृद कोई है नहीं, हो सकता नहीं । इसलिये इस बातको आप सरलतासे, सच्चे हृदयसे अभी स्वीकार कर लो ।

नारायण !     नारायण !!     नारायण !!!

‒ ‘सब साधनोंका सार’ पुस्तकसे