।। श्रीहरिः ।।

    


आजकी शुभ तिथि–
       पौष चतुर्दशी, वि.सं.-२०७८, शनिवार
  विषयासक्ति और भगवत्प्रीतिमें भेद



‒ ‘नित्ययोगकी प्राप्ति’ पुस्तकसे 



 

आसक्ति

प्रीति

०१

अनित्य

नित्य

०२

उत्पन्न

अनुत्पन्न

०३

अविवेकसिद्ध

विवेकसिद्ध

०४

घटती, बढ़ती, मिटती है

केवल बढ़ती ही है

०५

सीमित

असीम

०६

परिच्छिन्न

अपरिच्छिन्न

०७

बाँधती है

मुक्त करती है

०८

मृत्यु देती है

अमर करती है

०९

पराधीन करती है

स्वाधीन करती है

१०

एकतामें अनेकता दिखाती है

अनेकतामें एकता दिखाती है

११

रुलाती है

हँसाती है

१२

अप्रसन्नता लाती है

प्रसन्नता लाती है

१३

दुःखदायिनी

सुखदायिनी

१४

अशान्तिदा

शान्तिदा

१५

भयदा

अभयदा

१६

आदि-अन्तमें नीरस

सदा रसवर्द्धिनी

१७

सबसे निरादर कराती है

भगवान्‌से भी आदर कराती है

१८

मलिनता लाती है

शुद्धि लाती है

१९

चिन्ता देती है

निश्चिन्त करती है

२०

पतन करती है

उत्थान करती है

२१

औरोंके लिये भी दुःखद

भगवान्‌के लिये भी सुखद

२२

सदोष

निर्दोष

२३

लेना-ही-लेना

देना-ही-देना

२४

अप्राप्त

प्राप्त

२५

कृत्रिम

सहज

२६

जडता

चिन्मयता