।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि
श्रावण शुक्ल नवमी, वि.सं.२०७३, शुक्रवार
दहेज-प्रथासे हानि


किसीने पूछा है कि अनजानपनेमें नसबन्दी करवा ली तो इसका प्रायश्चित्त क्या है ? इस विषयमें जोधपुरके एक डॉक्टरने बताया था कि नसबन्दी वापिस खुल सकती है, ठीक हो सकती है और जिन्होंने ऐसा किया है, उनकी फिर सन्तान भी हुई है । अतः अच्छे डॉक्टरसे नसबन्दी पुन: ठीक करा लेनी चाहिये । इसका प्रायश्चित्त यह है कि अब नसबन्दी कभी नहीं कराऊँगा और दूसरोंको ऐसा करनेकी सलाह भी नहीं दूँगा‒ऐसा निश्चय कर लें । सच्चा पश्चात्ताप हो जाय तो प्रायश्चित्त हो जाता है अर्थात् मेरेसे भूल हो गयी, अब ऐसी भूल कभी नहीं करूँगा‒ऐसा कहकर भगवान्‌से माफी माँग लें और आगे वैसी भूल न करें तो प्रायश्चित्त हो जाता है ।

कर्मोंका पूरा फल भोगकर मुक्त हो जायँ‒यह असम्भव बात है । जब कभी मुक्ति होती है, भगवान्‌की कृपासे ही होती है । उनके माफ कर देनेसे ही होती है । भगवान्‌की कृपासे क्या नहीं हो सकता ? सच्चे हृदयसे पश्चात्ताप हो तो भगवान् माफ कर देते हैं ।

दूसरी बात यह आयी है कि कई लोग गर्भपात, भ्रूणहत्या इस कारण करते हैं कि लड़कियों ज्यादा हो जायँगी तो दहेज कहाँसे देंगे ! अगर धनी आदमी कृपा करें और दहेज लेना छोड़ दें तो यह महापाप (भ्रूणहत्या) मिट सकता है । धनी आदमी ही दहेजके ज्यादा भूखे होते हैं । अन्याय भी ज्यादा वे करते हैं, जिनके पास पैसे ज्यादा हैं । अतः कृपा करके कम-से-कम यह बात मान लो, परायी चीज लेनेकी इच्छा मत रखो । यद्यपि हम परायी रोटी खाते हैं, पराया कपड़ा पहनते हैं, परायी पुस्तक पढ़ते हैं, पराये मकानमें रहते हैं, पराये किरायेसे भ्रमण करते हैं, तथापि यह देनेवालेकी इच्छापर निर्भर है । हम परायी चीज लेनेकी इच्छा नहीं रखते ।

हमने सन्तोंसे सुना है कि पाँच प्रकारकी वृत्ति (भिक्षा)-में सबसे बढ़िया माधुकरी वृत्ति है । बढ़िया क्यों है ? कि उसमें देनेवालेकी प्रसन्नता है । जिसमें देनेवालेकी प्रसन्नता होती है, वह चीज पवित्र होती है । जिसमें लेनेवालेकी इच्छा होती है, वह चीज पवित्र नहीं होती । मेरे सामने किसीने एक सन्तसे प्रश्र किया कि बढ़िया भोजन कौन-सा है ? तो सन्तने उत्तर दिया कि जिसमें खानेवालेकी अपेक्षा खिलानेवालेको ज्यादा आनन्द आये, वह भोजन बढ़िया होता है । जिसमें खानेवाला और खिलानेवाला दोनों राजी होते हैं, वह भोजन मध्यम दर्जेका होता है । जिसमें खानेवालेको ज्यादा आनन्द आये, खिलानेवालेको नहीं, वह भोजन सबसे निकृष्ट होता है । बाघ गायको मारकर खाये तो गायको आनन्द आता है क्या ? यह तो बड़ी हत्या है !

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒'मातृशक्तिका घोर अपमान' पुस्तकसे