।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, वि.सं.२०७१, रविवार
करणसापेक्ष-करणनिरपेक्ष साधन और
करणरहित साध्य



(गत ब्लॉगसे आगेका)

एक स्त्रीकी नथ कुएँमें गिर गयी । उसको निकालनेके लिये एक आदमी कुएँमें उतरा और जलके भीतर जाकर उस नथको ढूँढ़ने लगा । ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वह नथ उसके हाथ लग गयी तो उसको बड़ी प्रसन्नता हुई । परन्तु उस समय वह कुछ बोल नहीं सका; क्योंकि वाणी (अग्नि) और जलका आपसमें विरोध है । जलसे बाहर आनेपर ही वह बोल सका कि ‘नथ मिल गयी !ऐसे ही सुषुप्तिमें करणोंके लीन होनेपर मनुष्य सुखका अनुभव तो करता है, पर उसको व्यक्त नहीं कर सकता; क्योंकि बोलनेका साधन नहीं रहा । सुषुप्तिसे जगनेपर ही उसको सुषुप्तिके सुखकी स्मृति होती है । स्मृति अनुभवजन्य होती है‒अनुभवजन्यं ज्ञानं स्मृतिः’

इस प्रकार सुषुप्तिमें करणोंके अभावका अनुभव तो सबको होता है, पर अपने अभावका अनुभव किसीको कभी नहीं होता । करण हमारे बिना नहीं रह सकते, पर हम (स्वयं) करणोंके बिना रह सकते हैं और रहते हैं । सत्तामात्र, चिन्मयतामात्र हमारा स्वरूप है । इस नित्य सत्ताको किसीकी अपेक्षा नहीं है; परन्तु सत्ताकी अपेक्षा सबको है । अतः सत्ताका बोध करणोंके द्वारा नहीं होता, प्रत्युत करणोंके सम्बन्ध-विच्छेदसे होता है ।

एक मार्मिक बात है कि सांसारिक वस्तुओंकी प्राप्ति जिस रीतिसे होती है, उस रीतिसे परमात्मतत्त्वकी प्राप्ति नहीं होती । संसारका कोई भी काम करणके बिना नहीं होता । जो भी काम होता है, करणसे ही होता है । कारण कि अप्राप्त सांसारिक वस्तुओंकी प्राप्ति तो क्रियासे होती है, पर नित्यप्राप्त परमात्मतत्त्वकी प्राप्ति क्रियासे नहीं होती‒‘नास्त्यकृतः कृतेन’ (मुण्डक १ । २ । १२), क्योंकि वह क्रियासे अतीत तत्त्व है । अतः उसकी प्राप्तिके लिये करणकी आवश्यकता नहीं है ।

जैसे कण्ठी गलेमें है और गला कण्ठीमें है, पर वहम हो गया कि कण्ठी खो गयी तो इस वहम (अज्ञान) को मिटानेके लिये किसी करणकी जरूरत नहीं है, प्रत्युत ज्ञानकी जरूरत है । ज्ञान कण्ठीको पैदा नहीं करता, प्रत्युत वहम मिटाता है । अतः किसी वस्तुको बनानेमें, पैदा करनेमें तो करणकी जरूरत है, पर जो स्वतःसिद्ध (पहलेसे ही विद्यमान) तत्त्व है, उसमें करणकी क्या जरूरत है ?

खोया कहे सो बावरा,   पाया  कहे  सो कूर ।
                            पाया खोया कुछ नहीं, ज्यों-का-त्यों भरपूर ॥
   
   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘साधन और साध्य’ पुस्तकसे