(गत ब्लॉगसे आगेका)
गाय और माय बेचनेकी नहीं होती । जबतक गाय दूध और बछड़ा देती है,
बैल काम करता है, तबतक उनको रखते हैं । जब वे बूढ़े हो जाते हैं,
तब बेच देते हैं । यह कितनी कृतघ्नताकी बात है ! कितने पापकी
बात है ! गाँधीजीने ‘नवजीवन’ अखबारमें
लिखा था कि बूढ़ा बैल जितना गोबर और गोमूत्र करता है, उससे
कम खर्चा करता है । जितना घास खाता है,
उतना गोबर और गोमूत्र कर देता है ।
राजस्थानमें कई जगह ऐसा हुआ है कि बिजली चली जाती है,
जिससे टोंटीमें जल आना बन्द हो जाता है और जलके बिना लोग दुःख
पाते हैं ! पहले घरोंमें बैल होते, लाव (रस्सी) और चरस होता,
जिससे कुएँमेंसे पानी निकाल लेते थे । अब बैल बेच दिये,
फिर कुएँसे जल कैसे आये ?
मेहनत किये बिना खाने-पीनेकी आदत पड़ गयी । बस,
टोंटी खोल दी और पानी आ गया । परन्तु
बिना मेहनत मिलनेवाली चीज अधिक दिन चलेगी नहीं । वैज्ञानिकोंने कहा है कि एक
समय ऐसा आनेवाला है, जब न बिजली मिलेगी,
न पेट्रोल-डीजल ! फिर क्या दशा होगी लोगोंकी ?
इसलिये आप लोगोंसे कहता हूँ कि गाय-बैलको,
बछड़ा-बछड़ीको बेचो मत । अभी भी तेल महँगा हो रहा है और आप ट्रेक्टरोंसे
तेल खर्च कर रहे हो । जब तेल नहीं मिलेगा,
तब बिना ट्रेक्टरोंके खेती कैसे करोगे ?
बैलोंको तो खत्म कर रहे हो !
जब ट्रेक्टर चलता है, तब बड़ी
हत्या होती है । खेतमें रहनेवाले कितने ही चूहे, गिलहरियाँ
आदि जीव मारे जाते हैं । जहाँ पाला,
घास, सेवन आदि होती है, वहाँ ट्रेक्टर चलता है तो पाला आदि नहीं होता । पाला,
घास, बूर, सेवन, बुडे़सी, गँठिया आदिकी जड़ें उखड़ जाती हैं और वे नष्ट हो जाते हैं । ट्रेक्टरोंके
कारण गायोंके खानेके लिये घास आदि नहीं होता । खेतोंकी पुष्टि
गाय-बैलोंसे होती है, ट्रेक्टरोंसे नहीं । इसलिये गाय-बैलोंकी रक्षा करो
।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे
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