(गत ब्लॉगसे आगेका)
पिछले दिनोंमें हिन्दू-मुसलमानोंकी लड़ाई हुई तो मुसलमान लोग
एक हिन्दू स्त्रीके मुँहमें कपड़ा डालकर तथा उसके हाथ पीछे बाँधकर बुरका पहनाकर ले जा
रहे थे । टिकटकी जाँच करने टीटी आया तो उस स्त्रीने टीटीके पैरको अपने पैरसे दबाया
। उसने सोचा कि स्त्री मेरा पैर क्यों दबा रही है ?
बात क्या है ? बुरका हटाया तो वह स्त्री निकली । फिर टीटीने रेलवे पुलिससे
कहकर स्त्रीको उन लोगोंसे मुक्त किया । इस प्रकार वे स्त्रियोंको ले जाकर अपनी बना
रहे हैं और ज्यादा-से-ज्यादा सन्तान पैदा कर रहे हैं । भारतकी स्वतन्त्रताके समय कितने
हिन्दू और मुसलमान थे, अब कितने हिन्दू और मुसलमान हैं ?
अभी जो जनगणना हुई है,
उसमें सरकारने यह प्रकट नहीं किया है कि हिन्दू कितने हैं और
मुसलमान कितने हैं ? सरकार प्रकट करते हुए काँप रही है ! सरकार कितना अन्याय कर रही
है ! अब भी वह मुसलमानोंका पक्ष ले रही है‒केवल वोटोंके लिये । मुसलमानोंके साथ हमारा
पीढ़ियोंसे काम पड़ा है । क्या दशा हुई, आप जानते हैं । नागौरमें ऐसी बात मैंने सुनी है । मुसलमानोंने
कहा कि यह बाजार हमारेको दे दो, यह दुकान हमारेको दे दो तो हम तुम्हारेको वोट दे देंगे । नेतालोग
तो पाँच वर्षोंतक पदपर रहेंगे, पर उनकी जायदाद उम्रभरके लिये हो गयी ! हिन्दू तो जमीन बेच रहे
हैं और वे जमीन खरीद रहे हैं ।
हमारा मुसलमानोंसे कोई विरोध नहीं है । हमारे तो सत्संगमें मुसलमान
आते हैं । मुसलमान गीता पढ़ते हैं । किशनगढ़में जब हमने चातुर्मास किया,
तब एक मुसलमान सत्संगमें आता था,
जो गीताका पाठ किया करता था तथा कई बातें पूछता था । कलकत्तेमें
ईरानके मुसलमान हमारे सत्संगमें आये । मेरी उनके साथ बातें भी हुई हैं । तात्पर्य है
कि उनमें भी अच्छे आदमी होते हैं । ऐसा ठेका नहीं है कि अच्छे आदमी हिन्दुओंमें ही
होते हैं, मुसलमानोंमें नहीं होते । सब जातियोंमें सब तरहके आदमी होते
हैं । साधुओंमें अच्छे-अच्छे साधु भी होते हैं और रावण तथा कालनेमि भी होते हैं । उन्होंने
साधु-वेश धारण किया था । स्त्रियोंमें सीता,
सावित्री-जैसी स्त्रियों भी होती हैं और शूर्पणखा-जैसी स्त्रियों
भी होती हैं । समुद्रमें बड़े-बड़े रत्न भी होते हैं और शंख तथा कौड़ियाँ भी होती हैं
।
(शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘किसान और गाय’ पुस्तकसे
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