(गत ब्लॉगसे आगेका)
प्रश्न‒जब
केवल नामजपसे ही सब पाप नष्ट हो जाते हैं, तो
फिर शास्त्रोंमें पापोंको दूर करनेके लिये तरह-तरहके प्रायश्चित्त क्यों बताये गये
हैं ?
उत्तर‒नामजपसे ज्ञात, अज्ञात आदि सभी पापोंका प्रायश्चित्त हो जाता है,
सभी पाप नष्ट हो जाते हैं;
परन्तु नामपर श्रद्धा-विश्वास न होनेसे शास्त्रोमें तरह-तरहके
प्रायश्चित्त बताये गये हैं । अगर नामपर श्रद्धा-विश्वास
हो जाय तो दूसरे प्रायश्चित्त करनेकी जरूरत नहीं है । नामजप करनेवाले भक्तसे अगर कोई
पाप भी हो जाय, कोई गलती हो जाय तो उसको दूर करनेके लिये दूसरा प्रायश्चित्त
करनेकी जरूरत नहीं है । वह नामजपको ही तत्परतासे करता रहे तो सब ठीक हो जायगा ।
प्रश्न‒अगर
कोई सकामभावसे नामजप करे तो क्या वह नामजप फल देकर नष्ट हो जायगा ?
उत्तर‒यद्यपि सांसारिक तुच्छ कामनाओंकी पूर्तिके लिये नामको खर्च करना बुद्धिमानी नहीं
है, तथापि अगर सकामभावसे भी नामजप किया जाय तो भी नामका माहत्म्य नष्ट नहीं होता ।
नामजप करनेवालेको पारमार्थिक लाभ होगा ही;
क्योंकि नामका भगवान्के साथ साक्षात् सम्बन्ध है । हाँ, नामको
सांसारिक कामनापूर्तिमें लगाकर उसने नामका जो तिरस्कार किया है,
उससे उसको पारमार्थिक लाभ कम होगा । अगर वह तत्परतासे नाममें लगा रहेगा, नामके
परायण रहेगा तो नामकी कृपासे उसका सकामभाव मिट जायगा । जैसे, ध्रुवजीने
सकामभावसे राज्यकी इच्छासे ही नामजप किया था । परन्तु जब उनको भगवान्के दर्शन हुए,
तब राज्य एवं पद मिलनेपर भी वे प्रसन्न नहीं हुए, प्रत्युत उनको अपने सकामभावका दुःख
हुआ अर्थात् उनका सकामभाव मिट गया ।
जो सकामभावसे नामजप किया करते है, उनको भी नाम-महाराजकी कृपासे
अन्तसमयमें नाम याद आ सकता है और उनका कल्याण हो सकता है !
प्रश्र‒शास्त्रोंमें
तथा सन्तोंने कहा है कि अमुक संख्यामें नामजप करनेसे भगवान्के दर्शन हो जाते हैं, क्या
ऐसा होता है ?
उत्तर‒हाँ, ‘हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे
कृष्ण कृष्ण कृष्णा हरे हरे ॥’‒इस मन्त्रका साढ़े तीन करोड़ जप करनेसे भगवान्के दर्शन हो जाते हैं‒ऐसा ‘कलिसतरणोपनिषद्’ में आया है । ‘राम’-नामका तेरह करोड़ जप करनेसे भगवान्के दर्शन हो जाते हैं‒ऐसा
समर्थ रामदास बाबाने ‘दासबोध’ में लिखा है । परन्तु नाममें, भगवान्में
श्रद्धा-विश्वास और प्रेम अधिक हो तो उपर्युक्त संख्यासे पहले भी भगवान्के दर्शन हो
सकते हैं ।
(शेष आगेके
ब्लॉगमें)
‒‘गीता-दर्पण ’ पुस्तकसे
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