।। श्रीहरिः ।।




आजकी शुभ तिथि–
  पौष कृष्ण द्वितीया, वि.सं.-२०७४, मंगलवार
   भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय



भगवत्प्राप्तिके विविध सुगम उपाय

१.   भगवत्प्राप्तिकी सच्ची लगन होना

(गत ब्लॉगसे आगेका)

गोरखपुरकी एक घटना है । संवत् २००० से पहलेकी बात है । मैं गोरखपुरमें व्याख्यान देता था । वहाँ सेवारामजी नामके एक सज्जन थे, जो बैंकमें काम करते थे । एक दिन मैंने व्याख्यानमें कह दिया कि अगर आपका दृढ़ विचार हो जाय कि भगवान् आज मिलेंगे तो वे आज ही मिल जायँगे ! उन सज्जनको यह बात लग गयी । उन्होंने विचार कर लिया कि हमें तो आज ही भगवान्‌से मिलना है । वे पुष्पमाला, चन्दन आदि ले आये कि भगवान् आयेंगे तो उनको माला पहनाऊँगा, चन्दन चढ़ाऊँगा ! वे कमरा बन्द करके भगवान्‌के आनेकी प्रतीक्षामें बैठ गये । समयपर भगवान्‌के आनेकी सम्भावना भी हो गयी और सुगन्ध भी आने लगी, पर भगवान् प्रकट नहीं हुए । दूसरे दिन उन्होंने मेरेसे कहा कि आज आप मेरे घरसे भिक्षा लें । मैं कई घरोंसे भिक्षा लेकर पाता था । उस दिन उनके घर गया तो उन्होंने मेरेसे पूछा कि भगवान् मिलनेवाले थे, सुगन्ध भी आ गयी थी, फिर बाधा क्या लगी कि वे मिले नहीं ? मैंने कहा कि भाई ! मेरेको इसका क्या पता ? परन्तु मैं तुमसे पूछता हूँ कि क्या तुम्हारे मनमें यह बात आती थी कि इतनी जल्दी भगवान् कैसे मिलेंगे ? वे बोले कि यह बात तो आती थी ! मैंने कहा कि इसी बातने अटकाया ! अगर मनमें यह बात होती कि भगवान् मेरेको अवश्य मिलेंगे, उनको मिलना ही पड़ेगा तो वे जरूर मिलते । भगवान् ऐसे कैसे जल्दी मिलेंगे‒ऐसा भाव करके तुमने ही बाधा लगायी है ।

अगर आप विचार कर लें कि भगवान् आज मिलेंगे तो वे आज ही मिल जायँगे ! परन्तु मनमें यह छाया नहीं आनी चाहिये कि इतनी जल्दी कैसे मिलेंगे ? भगवान् आपके कर्मोंसे अटकते नहीं । अगर आपके दुष्कर्मसे, पापकर्मसे भगवान् अटक जायँ तो वे मिलकर भी क्या निहाल करेंगे ? परन्तु भगवान् किसी कर्मसे अटकते नहीं । ऐसी कोई शक्ति है ही नहीं, जो भगवान्‌को मिलनेसे रोक दे । वे न तो पापकर्मोंसे अटकते हैं, न पुण्यकर्मोंसे अटकते हैं । वे सबके लिये सुलभ हैं । अगर भगवान् हमारे पापोंसे अटक जाय तो हमारे पाप भगवान्‌से भी प्रबल हुए ! अगर पाप प्रबल (बलवान्‌) हैं तो भगवान् मिलकर भी क्या निहाल करेंगे ? जो पापोंसे ही अटक जाय, उसके मिलनेसे क्या लाभ ? परन्तु भगवान् इतने निर्बल नहीं हैं, जो पापोंसे अटक जायँ । उनके समान बलवान् कोई है नहीं, हुआ नहीं, होगा नहीं, हो सकता नहीं । आपकी जोरदार इच्छा हो जाय तो आप कैसे ही हों, भगवान् मिलेंगे, मिलेंगे, मिलेंगे ! उनको मिलना पड़ेगा, इसमें सन्देह नहीं है ।

  (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘लक्ष्य अब दूर नहीं !’ पुस्तकसे