।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
वैशाख कृष्ण त्रयोदशी, वि.सं.-२०७५, शनिवार
                    मैं नहीं, मेरा नहीं 



(गत ब्लॉगसे आगेका)

जैसे कोई भूला हुआ आदमी शामतक घर पहुँच गया, और अभीतक रोटी नहीं बनी है, भोजन भी नहीं किया है; परन्तु एक सन्तोष होता है कि घरपर पहुँच गये ! अब धीरे-धीरे रोटी भी बन जायगी, भोजन भी कर लेंगे, आराम भी करेंगे ! इसी तरहसे भगवान्‌के शरण होते ही मनकी हलचल मिट जाती है कि अब अपने असली घरपर आ गये ! यह संसार मुसाफिरी है, घर नहीं है । मुसाफिरीमें बढ़िया-से-बढ़िया चीज मिले तो भी है मुसाफिरी ही ! यक्षने युधिष्ठिरसे प्रश्न किया कि सुखी कौन है ? तो युधिष्ठिरने उत्तर दिया

पञ्चमेऽहनि षष्ठे वा शाकं पचति स्वे गृहे ।
अनृणी चाप्रवासी च स वारिचर मोदते ॥
                             (महाभारत, वन ३१३ । ११५)

‘जलचर यक्ष ! जिस पुरुषपर किसीका ऋण नहीं है और जो परदेशमें नहीं है, वह भले ही पाँचवें या छठे दिन अपने घरके भीतर साग-पात ही पकाकर खाता हो, तो भी वह सुखी है ।’

एक भगवान्‌का आश्रय ही पक्का है, शेष सब आश्रय कच्चे हैं । माँ बाप, पति, पुत्र, मित्र आदि कोई सदा साथ नहीं रहता । परन्तु भगवान् कभी साथ छोड़ते ही नहीं ! नरकोंमें चले जाय तो भी वे साथ छोड़ते नहीं ! केवल आप अपनी तरफसे तैयारी कर लो, फिर सब काम भगवान् करेंगे ! मनसे तैयारी कर लो कि ‘हे नाथ ! मैं आपका हूँ’ । दूसरा सहारा मत रखो । शरण लेना, स्वीकार करना, सब पापोंसे मुक्त करना, सब दुःखोंसे छुटकारा देना भगवान्‌का काम है । आप केवल दूसरा आश्रय छोड़कर तैयार हो जाओ । अपनी तरफसे तैयारी, नीयत, विचार कर लो कि ‘हे नाथ ! मैं आपका हूँ’ । फिर सब काम भगवान् कर देंगे ।

व्याकुल होकर भगवान्‌कोहे नाथ ! हे मेरे नाथ !’ पुकारो । यह बहुत बढ़िया साधन है । इससे सब कमजोरियाँ मिट जायँगी, सब पाप-ताप मिट जायँगे ! असली व्याकुलता होगी तो भगवान् पिघल जायँगे ! वे सर्वसमर्थ हैं । उनकी कृपासे सब काम ठीक हो जायगा ।

श्रोताआपने कहा कि दुःखी व्यक्तिको देखकर करुणित होना चाहिये, लेकिन जब उसकी सेवा करते हैं, तब अपनेको सेवाके योग्य नहीं पाते हैं हमारे मनमें उसके हितका भाव तो है, लेकिन फिर भी मनकी हलचल नहीं मिटती है !


स्वामीजीसेवा करना दूर रहा, उसको पता ही न लगे ! आप उसके लिये एकान्तमें रोओ, करुणित हो जाओ । उस दुःखी आदमीको भी पता न लगे कि यह मेरे लिये दुःखी है । उसके लिये रोओ, दुःखी हो जाओयह कर्मयोगका बहुत बढ़िया साधन है । इससे आपकी जरूर उन्नति होगी ।

   (शेष आगेके ब्लॉगमें)
‒‘मैं नहींमेरा नहीं’ पुस्तकसे