किसीको अपने मातहत (अधीन) बनाना दुष्ट आदमीका
काम है, सज्जनका काम नहीं । मातहत बनाना कुत्तोंका काम है । सन्त-महात्मा किसीको मातहत
नहीं बनाते । ऐसे साधुओंको मैंने देखा है,
जो चेलेको भी ‘जी’ सम्बोधनसे बुलाते हैं । चौकसरामजी महाराजको मैंने ‘रामनारायणजी’ कहकर बुलाते देखा है ।
बाहरसे आप भले ही चेला-चेली बन जाओ,
पर भीतरसे अपनेको भगवान्का ही मानो । सच्ची बात मिटेगी
नहीं और बनावटी बात टिकेगी नहीं । भगवान् हमारे हैं तो किस बातकी कमी रही
? भगवान्को अपना मान लो तो
सब कमी पूरी हो जायगी । भगवान्के साथ सम्बन्ध जुड़ते ही
आपकी कपूताई मिट जायगी, आप सपूत हो जाओगे । आप भगवान्के पहले हैं,
कपूत बादमें हुए हैं ।
भगवान्की प्रसन्नता लेनी हो तो भक्तोंको याद
करो । भगवान्के भक्तोंको याद करनेसे भगवान् राजी होते हैं । जैसे बालकको राजी करनेसे माँ राजी हो जाती है,
ऐसे ही भक्तोंको राजी करनेसे भगवान् राजी हो जाते हैं ।
भगवान्के दरबारमें सबसे प्यारा भक्त ही है । भगवान् भक्तोंको देख-देखकर राजी होते
हैं । जब भगवान्की कृपा होती है, तब भक्त मिलते हैं‒
संत बिसुद्ध मिलहि
परि तेही ।
चितवहिं राम कृपा करि जेही ॥
(मानस, उत्तर॰ ६९ । ७)
‘जब द्रवै दीनदयालु राघव साधु-संगति पाइये’
(विनयपत्रिका
१३६ । १०)
हरि से तू जनि हेत कर, कर
हरिजन से हेत ।
हरि रीझै जग देत हैं, हरिजन हरि ही देत ॥
गलती यह होती है कि जिस कामके लिये मनुष्यशरीर मिला है,
वह काम न करके दूसरे काममें लग जाते हैं । रुपये कमानेके
लिये, विषय-सेवनके लिये, निकम्मी बातोंके लिये,
खेल-तमाशेके लिये मनुष्यशरीर नहीं मिला है । मनुष्यशरीर
केवल कल्याणके लिये मिला है, जिससे बार-बार जन्मना-मरना न पड़े । मनुष्यशरीरके सिवाय अन्य
किसी जगह कल्याणका, भगवत्प्राप्तिका मौका नहीं है । जैसे रसोईमें भोजन तैयार है
और आप जाकर बैठ गये तो आपका मुख्य काम भोजन करना है । रसोईमें जाकर भोजन नहीं
करोगे तो क्या काम करोगे ? ऐसे ही मनुष्यशरीरमें आकर अपना कल्याण नहीं करोगे तो क्या
काम करोगे ? संसारका काम करते हुए भी आपका उद्देश्य भगवत्प्राप्ति ही
रहना चाहिये ।
आप हरेक काममें भगवान्को याद करनेकी आदत डाल
लें । आपका सत्संग सफल हो जायगा ! कहीं भी जायँ तो चार बार ‘नारायण’ नामका उच्चारण करके जायँ । सब
काम ठीक हो जायगा और खराब कामसे बच जाओगे । खराब कामसे बचना और अच्छे काममें लगना‒दोनों बातें ‘नारायण-नारायण’ कहनेसे हो जायँगी । भगवान्का जो भी नाम आपको प्रिय हो,
वह लें । अगर आप हरेक काममें
भगवान्को याद करनेकी बात स्वीकार कर लें और बाल-बच्चोंको भी सिखा दें तो हमारा
बहुत बड़ा काम हो जायगा ! मैं आपकी अपने ऊपर बडी कृपा मानूँगा !
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