।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि–
शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण दशमी, वि.सं.-२०७५, गुरुवार
एकादशी-व्रत कल है
                    अनन्तकी ओर     



किसीको अपने मातहत (अधीन) बनाना दुष्‍ट आदमीका काम है, सज्जनका काम नहीं । मातहत बनाना कुत्तोंका काम है । सन्त-महात्मा किसीको मातहत नहीं बनाते । ऐसे साधुओंको मैंने देखा है, जो चेलेको भी जी सम्बोधनसे बुलाते हैं । चौकसरामजी महाराजको मैंने रामनारायणजी कहकर बुलाते देखा है ।

बाहरसे आप भले ही चेला-चेली बन जाओ, पर भीतरसे अपनेको भगवान्‌का ही मानो । सच्‍ची बात मिटेगी नहीं और बनावटी बात टिकेगी नहीं । भगवान् हमारे हैं तो किस बातकी कमी रही ? भगवान्‌को अपना मान लो तो सब कमी पूरी हो जायगी । भगवान्‌के साथ सम्बन्ध जुड़ते ही आपकी कपूताई मिट जायगी, आप सपूत हो जाओगे । आप भगवान्‌के पहले हैं, कपूत बादमें हुए हैं ।

भगवान्‌की प्रसन्नता लेनी हो तो भक्तोंको याद करो । भगवान्‌के भक्तोंको याद करनेसे भगवान् राजी होते हैं । जैसे बालकको राजी करनेसे माँ राजी हो जाती है, ऐसे ही भक्तोंको राजी करनेसे भगवान् राजी हो जाते हैं । भगवान्‌के दरबारमें सबसे प्यारा भक्त ही है । भगवान् भक्तोंको देख-देखकर राजी होते हैं । जब भगवान्‌की कृपा होती है, तब भक्त मिलते हैं

संत बिसुद्ध  मिलहि परि तेही ।
 चितवहिं राम कृपा करि जेही ॥
                                     (मानस, उत्तर ६९ । ७)

जब द्रवै दीनदयालु राघव साधु-संगति पाइये
                                      (विनयपत्रिका १३६ । १०)

हरि से तू जनि हेत कर, कर हरिजन से हेत ।
हरि रीझै जग देत हैं,  हरिजन हरि ही देत ॥

गलती यह होती है कि जिस कामके लिये मनुष्यशरीर मिला है, वह काम न करके दूसरे काममें लग जाते हैं । रुपये कमानेके लिये, विषय-सेवनके लिये, निकम्मी बातोंके लिये, खेल-तमाशेके लिये मनुष्यशरीर नहीं मिला है । मनुष्यशरीर केवल कल्याणके लिये मिला है, जिससे बार-बार जन्मना-मरना न पड़े । मनुष्यशरीरके सिवाय अन्य किसी जगह कल्याणका, भगवत्प्राप्तिका मौका नहीं है । जैसे रसोईमें भोजन तैयार है और आप जाकर बैठ गये तो आपका मुख्य काम भोजन करना है । रसोईमें जाकर भोजन नहीं करोगे तो क्या काम करोगे ? ऐसे ही मनुष्यशरीरमें आकर अपना कल्याण नहीं करोगे तो क्या काम करोगे ? संसारका काम करते हुए भी आपका उद्देश्य भगवत्प्राप्ति ही रहना चाहिये ।


आप हरेक काममें भगवान्‌को याद करनेकी आदत डाल लें । आपका सत्संग सफल हो जायगा ! कहीं भी जायँ तो चार बार नारायण नामका उच्‍चारण करके जायँ । सब काम ठीक हो जायगा और खराब कामसे बच जाओगे । खराब कामसे बचना और अच्छे काममें लगनादोनों बातें नारायण-नारायण कहनेसे हो जायँगी । भगवान्‌का जो भी नाम आपको प्रिय हो, वह लें । अगर आप हरेक काममें भगवान्‌को याद करनेकी बात स्वीकार कर लें और बाल-बच्‍चोंको भी सिखा दें तो हमारा बहुत बड़ा काम हो जायगा ! मैं आपकी अपने ऊपर बडी कृपा मानूँगा !