।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि–
शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी, वि.सं.-२०७५, शुक्रवार
अचला एकादशी-व्रत (सबका)
                    अनन्तकी ओर     



हरदम भगवान्‌को याद रखो । खास एक ही बात भगवान्‌से कहो कि हे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं । दो-दो, चार-चार मिनटमें कहते रहो । ऐसे दिन और रात, जबतक नींद न आये, तबतक कहते ही रहो । भगवान्‌के पीछे ही पड़ जाओ ! जैसे वृक्षमें लगा हुआ फल अपने-आप बड़ा हो जाता है, अपने-आप मीठा हो जाता है । उसको बड़ा करना नहीं पड़ता, मीठा करना नहीं पड़ता । ऐसे ही आप भगवान्‌से लगे रहो तो आप अपने-आप सन्त बन जाओगे । जबानसे भगवान्‌का नाम लो, हृदयसे भगवान्‌का ध्यान करो, हाथोंसे भगवान्‌का काम करो ।

हाथ काम मुख राम है,  हिरदै साची प्रीत ।
दरिया गृहस्थी साध की, याही उत्तम रीत ॥

सबकी सेवा करना और भगवान्‌को याद करनायें दो मनुष्यके खास काम हैं । किसीके साथ ठगाई, चोरी मत करो । किसीसे कोई कर्जा लिया है, चुराया है, डाका डाला है, ठगाई की है तो उसका फल अवश्य भोगना पड़ेगा । जो लिया है, वह ब्याजसहित चुकाना पड़ेगा । चुरुके एक विश्‍वेश्‍वरलालजी खेमका थे । वे वृद्ध थे, और उन्होंने बहुत-से सन्तोंका सत्संग किया था । उन्होंने एक बात बतायी कि एक मारवाड़ी आदमी था । वह पैसोंके लिये बम्बई गया, पर बहुत जल्दी वापिस आ गया और सब कर्जा चुका दिया । लोगोंके मनमें आश्‍चर्य हुआ कि यह इतनी जल्दी कैसे पैसे कमाकर ले आया ! इस घटनाको हुए अनेक दिन बीत गये । उसका एक लड़का हुआ । वह बड़ा हुआ तो उसका विवाह कर दिया । विवाह करनेके बाद वह बीमार हो गया । एक रात वह बहुत ज्यादा बीमार हो गया । उसके पास कई लोग बैठे थे कि न जाने कब प्राण चले जायँ ! उस समय विश्‍वेश्‍वरलालजी खेमका भी वहीं बैठे थे । लड़केकी स्थिति ज्यादा खराब देखकर उसका पिता रोने लग गया । जवान लड़का हो और विवाह हो चुका हो तो उसके मरनेका दुःख ज्यादा होता है । पिताको रोते देख वह लड़का बोला कि अब रोनेसे क्या होगा ? अमुक दिन तुम यहाँसे गये थे । तुम्हें रास्तेमें एक बंगाली मिला । उसके पास लगभग दस हजार रुपये थे । बीचके एक स्टेशनमें ठहरना पड़ा तो उसके साथ रातमें तुम एक भड़भुँजारीके घरमें ठहरे । रातमें तुम और भड़भुँजारीदोनोंने मिलकर उस बंगालीको मार दिया और उसके सब रुपये ले लिये । लड़केकी बातें सुनकर वहाँ बैठे लोग आपसमें एक-दूसरेको देखने लगे कि बात तो यह ठीक दीखती है; क्योंकि सबके मनमें पहलेसे ही यह शंका थी कि यह इतनी जल्दी रुपये कहाँसे लाया ? फिर वह लड़का बोला कि मैं वही बंगाली हूँ और बदला लेनेके लिये ही इसके घरमें जन्मा हूँ । अभी भी कुछ कर्जा बाकी है, उसको लेने मैं एक बार फिर आऊँगा । ब्याजसहित सब कर्जा लूँगा । वहाँ बैठे किसी आदमीने कहा कि यह बेचारी बनियेकी बेटी विधवा हो जायगी, इसका क्या कसूर ?यह सुनते ही वह लड़का तेजीसे बोला कि वही यह राँड़ भड़भुँजारी है ! इन दोनोंने मिलकर मेरेको मारा था ! अब यह जन्मभर दुःख पायेगी ।


लड़केकी बातें सुनकर उसका पिता बोला कि यह सन्निपातमें, बेहोशीमें बोलता है । उसका लड़का तेजीसे बोला कि मैं सन्निपातमें नहीं बोलता हूँ । सच्‍ची बातें कहता हूँ । अभी बागलोंके घरमें दीवार फोड़कर चार चोर चोरी कर रहे हैं । जाकर देख लो । अगर यह बात सच्‍ची है तो मेरी बात भी सच्‍ची है । उस समय तो वहाँ कोई गया नहीं, पर सुबह लोगोंने देखा तो बात सच्‍ची निकली ।