ऐसे ही एक दूसरी सच्ची घटना है । हमारे गुरु महाराज पैसा
तो रखते थे, पर संग्रह नहीं करते थे । उन्होंने दो सौ रुपये देकर एक
गरीब लड़केका विवाह किया । उस समय उनके पासमें इतने ही रुपये थे । उस समय दो सौ
रुपये बड़े कीमती हुआ करते थे । विवाह होनेके बाद वह लड़का मर गया । वह अपनी माँका
एक ही बेटा था । हमारे महाराज भेलूमें थे,
और वह लड़का चाँपासरमें था । चाँपासरसे बीकानेर आयें तो भेलू
बीचमें पड़ता है । रातमें महाराजको स्वप्न आया । स्वप्नमें वह लड़का दिखायी दिया
तो महाराजने पूछा कि ‘केशव, तू यहाँ कैसे आया ?’ वह बोला कि ‘मैं बीकानेर जा रहा हूँ ।’ महाराजने कहा कि ‘तू माँको छोड़ आया ?’ वह बोला कि ‘माँने तो पाप किया है,
वह उसका फल भोगेगी । एक अन्धा लोहार था । उसने एक जगह बीस
रुपये गाड़े थे, जिसको बालकपनमें माँने देख लिया । पीछे वे रुपये माँने
निकाल लिये । अब इस पापसे वह दुःख पायेगी ।’
वह रातभर अकेली रोती रहती । रातमें उसके रोनेकी आवाज लोग
सुनते थे । वह बड़ी गरीब थी । महाराजने उसपर कर्जा नहीं रहने दिया । उससे एक गाय
लेकर ब्राह्मणको दे दी और कहा कि तेरेपर कर्जा नहीं रहा,
उतर गया । उसके घर मैं भी गया हूँ ।
इसलिये भाई-बहनोंसे कहना है कि हरदम सावधान रहो । पाप,
अन्याय, अत्याचार, दुराचार मत करो । किसीकी
ठगाई मत करो, डाका मत डालो, चोरी मत करो, पराया हक मत लो, नहीं तो ब्याजसहित देना पड़ेगा ! कहीं कोई चीज पड़ी मिल जाय
तो वह भी दान-पुण्य कर दो, किसी अच्छे काममें लगा दो । दान-पुण्य करके यह कहो कि जिसकी
चीज है, उसीको पुण्य हो जाय, हमारेको
नहीं । अपने सिरपर किसीका कर्जा चढ़ाओ ही मत, नहीं
तो चुकानेमें मुश्किल हो जायगी ! दूसरेका हक लेना बहुत खराब चीज है । अच्छे पुरुष कभी दूसरेका हक नहीं लेते ।
व्यापार करनेवाले भी सावधानी रखें । ऐसे कई आदमियोंको देखा है,
जो उधारमें लिये रुपयोंको खा जाते हैं । उनकी बड़ी बुरी दशा
होगी ! वह रुपया हर अवस्थामें ब्याजसहित चुकाना पड़ेगा । इसलिये जिस-किसीका भी कर्जा हो, जल्दी-जल्दी
चुका दो । देरी मत करो । अभी चुकाओगे तो थोड़ेमें ही चुक जायगा, देरी
करोगे तो बड़ी मुश्किल होगी ! लिया हुआ कर्जा भी खराब होता है, फिर चोरी, डाका, ठगाई आदिसे लिया हुआ पैसा बहुत ज्यादा खराब होता है । उसका
भयंकर दण्ड होगा ! आपके पैसोंमें तो सब साथी हो जायँगे, पर
पापमें कोई साथी नहीं होगा ।
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