।। श्रीहरिः ।।



आजकी शुभ तिथि–
शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी, वि.सं.-२०७५, शनिवार
 अनन्तकी ओर     



ऐसे ही एक दूसरी सच्‍ची घटना है । हमारे गुरु महाराज पैसा तो रखते थे, पर संग्रह नहीं करते थे । उन्होंने दो सौ रुपये देकर एक गरीब लड़केका विवाह किया । उस समय उनके पासमें इतने ही रुपये थे । उस समय दो सौ रुपये बड़े कीमती हुआ करते थे । विवाह होनेके बाद वह लड़का मर गया । वह अपनी माँका एक ही बेटा था । हमारे महाराज भेलूमें थे, और वह लड़का चाँपासरमें था । चाँपासरसे बीकानेर आयें तो भेलू बीचमें पड़ता है । रातमें महाराजको स्वप्‍न आया । स्वप्‍नमें वह लड़का दिखायी दिया तो महाराजने पूछा कि केशव, तू यहाँ कैसे आया ?’ वह बोला कि मैं बीकानेर जा रहा हूँ । महाराजने कहा कि तू माँको छोड़ आया ?’ वह बोला कि माँने तो पाप किया है, वह उसका फल भोगेगी । एक अन्धा लोहार था । उसने एक जगह बीस रुपये गाड़े थे, जिसको बालकपनमें माँने देख लिया । पीछे वे रुपये माँने निकाल लिये । अब इस पापसे वह दुःख पायेगी ।

वह रातभर अकेली रोती रहती । रातमें उसके रोनेकी आवाज लोग सुनते थे । वह बड़ी गरीब थी । महाराजने उसपर कर्जा नहीं रहने दिया । उससे एक गाय लेकर ब्राह्मणको दे दी और कहा कि तेरेपर कर्जा नहीं रहा, उतर गया । उसके घर मैं भी गया हूँ ।


इसलिये भाई-बहनोंसे कहना है कि हरदम सावधान रहो । पाप, अन्याय, अत्याचार, दुराचार मत करो । किसीकी ठगाई मत करो, डाका मत डालो, चोरी मत करो, पराया हक मत लो, नहीं तो ब्याजसहित देना पड़ेगा ! कहीं कोई चीज पड़ी मिल जाय तो वह भी दान-पुण्य कर दो, किसी अच्छे काममें लगा दो । दान-पुण्य करके यह कहो कि जिसकी चीज है, उसीको पुण्य हो जाय, हमारेको नहीं । अपने सिरपर किसीका कर्जा चढ़ाओ ही मत, नहीं तो चुकानेमें मुश्किल हो जायगी ! दूसरेका हक लेना बहुत खराब चीज है । अच्छे पुरुष कभी दूसरेका हक नहीं लेते । व्यापार करनेवाले भी सावधानी रखें । ऐसे कई आदमियोंको देखा है, जो उधारमें लिये रुपयोंको खा जाते हैं । उनकी बड़ी बुरी दशा होगी ! वह रुपया हर अवस्थामें ब्याजसहित चुकाना पड़ेगा । इसलिये जिस-किसीका भी कर्जा हो, जल्दी-जल्दी चुका दो । देरी मत करो । अभी चुकाओगे तो थोड़ेमें ही चुक जायगा, देरी करोगे तो बड़ी मुश्किल होगी ! लिया हुआ कर्जा भी खराब होता है, फिर चोरी, डाका, ठगाई आदिसे लिया हुआ पैसा बहुत ज्यादा खराब होता है । उसका भयंकर दण्ड होगा ! आपके पैसोंमें तो सब साथी हो जायँगे, पर पापमें कोई साथी नहीं होगा ।