जिस दिन आपका विचार हो जायगा कि भगवान्के बिना मैं
रह नहीं सकता तो भगवान् भी आपके बिना रह नहीं सकेंगे । एक मच्छर गरुड़जीसे मिलना चाहे और गरुड़जी मच्छरसे मिलना चाहें
तो मच्छरसे मिलनेमें गरुड़की ताकत काम करेगी और वे यहीं उसे मिल जायँगे । मच्छरमें उड़नेकी
कितनी ताकत है ? इसी तरह भगवान्से मिलनेकी इच्छा हो
तो आपसे मिलनेमें भगवान्की ताकत काम करेगी, आपकी
ताकत काम नहीं करेगी । आप विचार
करो, आप भगवान्के पास नहीं पहुँच सकते तो क्या भगवान् भी आपके पास नहीं पहुँच सकते
? वे तो आपके हृदयमें विराजमान
हैं ! भगवान्को आप दूर मानते हो, इसलिये
भगवान् दूर होते हैं । आप मानोगे
कि भगवान् मेरेको नहीं मिलेंगे तो वे नहीं मिलेंगे ।
आपको गोरखपुरकी एक घटना सुनायें । संवत् २००० से पहलेकी बात
है । मैंने एक दिन व्याख्यानमें कह दिया कि आपका विचार हो जाय कि भगवान् आज मिलेंगे
तो वे आज ही मिल जायँगे । एक बैंकमें काम करनेवाले सज्जन थे,
नाम था‒सेवारामजी । उनको यह बात लग गयी ! वे माला ले आये,
चन्दन घिस लिया कि भगवान् आयेंगे तो माला पहनाऊँगा,
चन्दन लगाऊँगा । भगवान्के आनेकी प्रतीक्षामें बैठ गये । भगवान्के
आनेकी उम्मीद भी हो गयी, सुगन्ध भी आने लगी,
पर भगवान् आये नहीं । दूसरे दिन उन्होंने मेरेको कहा आज हमारे
घर भिक्षा लो । मैं कई घरोंसे भिक्षा लेकर पाता था । उनके घर गया तो उन्होंने मेरेसे
पूछा कि बात क्या है, भगवान् आये क्यों नहीं
? मैंने उनसे पूछा कि सच्चे
हृदयसे बताओ कि तुम्हारे मनमें ‘भगवान् इतनी जल्दी कैसे मिलेंगे’‒यह बात आती थी कि नहीं
? उन्होंने कहा कि यह बात तो
आती थी । मैंने कहा कि इसी बातने अटकाया ! अगर यह बात होती कि मेरेको तो भगवान् मिलेंगे
ही, मिलना ही पड़ेगा तो बिल्कुल मिलते । अतः यह बाधा तुम्हारी ही लगायी हुई है ! क्या
भगवान्को भी मिलनेमें देरी लगती है ? क्या भगवान्को भी उद्योग करना पड़ता है
?
आज भी किसीके मनमें भगवान्से मिलनेका विचार हो तो
आज विचार कर लो, आज ही मिल जायँगे ! रात्रिमें बैठ जाओ कि भगवान्
मिलेंगे । परन्तु आपके मनमें यह छाया नहीं आनी चाहिये कि इतनी जल्दी कैसे मिलेगे ? फिर
दुनिया कुछ भी कहे, कोई परवाह नहीं ! भगवान् आपके कर्मोंसे अटकते नहीं
। आपके पापोंसे, दुष्कर्मोंसे भगवान् अटक जायँ तो मिलकर भी क्या निहाल
करेंगे ! ऐसी कोई शक्ति है ही नहीं, जो आपको भगवान्से न मिलने दे ! कोई भाई-बहन कैसा
ही क्यों न हो, जोरदार इच्छा हो जाय तो भगवान् मिलेंगे, मिलेंगे, मिलेगे
! जरूर मिलेंगे ! भगवान्को मिलना ही पड़ेगा ! परन्तु आपके भीतर यह बात नहीं रहनी चाहिये
कि इतनी जल्दी भगवान् नहीं मिलते । यह बात रहेगी तो भगवान् अटक जायँगे !
अगर हमारे पापोंके कारण भगवान् न मिलते हों तो हमारे पाप भगवान्से
बलवान् हुए । अगर पाप बलवान् हुए तो भगवान् मिलकर क्या निहाल करेंगे ! भगवान् इतने
निर्बल नहीं हैं कि पापकर्मोंसे अटक जायँ । उनके समान बलवान् कोई है ही नहीं,
हुआ ही नहीं, होगा ही नहीं, हो सकता ही नहीं । ऐसे भगवान् हमारेको क्यों नहीं मिलते
? क्योंकि हम उन्हें चाहते नहीं
। हमारे भीतर रुपयोंकी चाहना है, फिर भगवान् बीचमें क्यों आयेंगे
? मानो भगवान् कहते हैं कि अगर
मेरे बिना तेरा काम चलता है तो मेरा काम भी तेरे बिना चलता है !
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