।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
अधिक ज्येष्ठ कृष्ण नवमी, 
                 वि.सं.-२०७५, शुक्रवार
 अनन्तकी ओर     


मैंने विचार करके देखा है, जिससे हम अपनी कोई बात पूछें, ऐसा कोई पुरुष मेरी दृष्टिमें आया नहीं ! जिससे हम पूछें, सलाह लें, ऐसा पुरुष हिन्दुओंमें, मुसलमानोंमें, ईसाईयोंमें, कहीं भी हमारे देखने-सुननेमें आता नहीं ! कोई-कोई भाई कहते हैं कि हमारे गुरुजी ऐसे हैं, पर वे उनकी समझमें हैं, हमारी श्रद्धा बैठती नहीं ! पहले कल्याण’ में बड़े जानकार लोगोंके लेख आते थे, पर आजकल वैसे लेख लिखनेवाले भी नहीं दीखते ! विद्वत्ता भी पहले-जैसी नहीं रही । पहले-जैसे विद्वान् अब देखनेमें नहीं आते । तत्त्वकी वास्तविक बातोंको जाननेवाले, उसमें तत्परतासे समय लगानेवाले आदमी बहुत कम हैं । सत्संग करनेवाले भी गहराईसे सोचते नहीं कि तत्त्व क्या है ? मैं यह बिल्कुल नहीं मानता कि आपलोग योग्य नहीं हैं, बुद्धिमान् नहीं हैं । परन्तु आप इस विषयमें सोचते ही नहीं । जिस विषयमें आपका विचार ही नहीं, लक्ष्य ही नहीं, उस विषयमें आप आगे कैसे बढ़ोगे ? तत्त्वकी बात जाननेके लिये तो बहुत-से लोग तैयार हो जायँगे, पर भीतरसे जैसी लालसा होनी चाहिये, वैसी लालसा मेरेको दीखती नहीं !

जैसे आजकल तरह-तरहके वैज्ञानिक आविष्कार हो रहे हैं, ऐसे ही पारमार्थिक विषयमें भी आविष्कार हुए हैं, पर उनको जाननेवाले बहुत कम हैं । जाननेकी इच्छा ही नहीं है ! इसलिये आपलोगोंसे प्रार्थना है कि इस विषयमें अपनी उत्कण्ठा बढ़ाओ । पहलेकी अपेक्षा आजकल भगवान् सस्ते हैं, पर जाननेवाले बहुत कम हैं ! जाननेकी उत्कण्ठा ही नहीं है ! आपलोग तैयार हो जाओ तो मेरा भी उत्साह बढ़ेगा !

श्रोता‒भगवान् दिखते नहीं, फिर उन्हें कैसे मानें ?


स्वामीजी‒गीता कहती है‒‘वासुदेवः सर्वम्’ (गीता ७ । १९) सब कुछ भगवान् ही हैं’ वास्तवमें भगवान्‌के सिवाय दूसरा कोई दीखता ही नहीं ! किसीमें दीखनेकी ताकत ही नहीं है । आप मानते नहीं तो हम क्या करें ? भगवान्‌के सिवाय आपको कोई मिलता ही नहीं, भगवान् ही मिलते हैं । इसलिये हरदम खुशी रहनी चाहिये । जब कोई प्यारा मित्र मिलता है तो मन खुश होता है । हमें हरदम ही मित्ररूपसे परमात्मा मिलते हैं ! परमात्माके सिवाय और किसीमें मिलनेकी ताकत ही नहीं है ! भूख लगती है तो अन्नरूपसे भगवान् आते हैं । प्यास लगती है तो जलरूपसे भगवान् आते हैं । थक जाते हो तो नींदरूपसे भगवान् आते हैं । इसे मान लो आज अभी निहाल हो जाओगे !