।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
अधिक ज्येष्ठ कृष्ण दशमी, 
                 वि.सं.-२०७५, शनिवार
एकादशी-व्रत कल है 
 अनन्तकी ओर     


श्रोताहमने ऐसा पढ़ा है कि द्वापरमें एक महीना साधन करनेसे जो परमात्माकी प्राप्ति होती है, वह कलियुगमें एक दिनमें साधन करनेसे हो सकती है । वह ऐसा कौन-सा साधन है, जो हम एक दिनमें करें और हमें परमात्माकी प्राप्ति हो जाय ?

स्वामीजीपरमात्मा दुर्लभ नहीं हैं, उनकी प्राप्तिकी इच्छावाला आदमी दुर्लभ है । परमात्माके मिलनेमें देरी नहीं है । देरी वास्तवमें अपनी चाहनामें है । परमात्मा दूर थोड़े ही हैं ! परमात्मा जितने सस्ते हैं, उतनी सस्ती कोई चीज है ही नहीं ! उनकी प्राप्ति तत्काल हो सकती है, दिनकी बात तो दूर रही ! परमात्मा सबके हृदयमें विराजमान हैंसर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टः (गीता १५ । १५) । जो हृदयमें स्थित है, उसके मिलनेमें देरी क्या लगे ? अतः वास्तवमें परमात्मप्राप्तिकी इच्छा दुर्लभ है, परमात्मा दुर्लभ नहीं हैं । उनकी इच्छा अनन्य होनी चाहिये ।

एक  भरोसो  एक  बल  एक  आस बिस्वास ।
 एक राम घन स्याम हित चातक तुलसीदास ॥
(दोहावली २७७)

आपमेंसे कोई है तो बताये कि हमारा एक ही भरोसा है, एक ही आशा है, एक ही विश्‍वास है ? वास्तवमें ऐसी इच्छा ही दुर्लभ है, परमात्मा दुर्लभ नहीं हैं । परमात्माके समान सर्वव्यापक दूसरी कोई चीज है ही नहीं । उनकी प्राप्ति एक दिनमें क्या, एक क्षणमें हो सकती है ! परन्तु आपलोगोंकी दृष्टि भोग तथा संग्रहकी तरफ है, परमात्माकी तरफ नहीं । आपमेंसे कोई बताओ कि परमात्माके सिवाय हमारी और कोई इच्छा नहीं है । परमात्मप्राप्तिकी जोरदार इच्छा नहीं है, हो जाय तो अच्छी बात है ! भगवान्‌के बिना हमारा कोई काम अटकता है नहीं ! खा-पी लेते हैं, नींद आ जाती है, भगवान्‌की जरूरत क्या है ?

परमात्मासे नजदीक कोई चीज है ही नहीं ! परमात्मा जितने नजदीक हैं, उतना नजदीक आपका शरीर भी नहीं है, प्राण भी नहीं हैं, मन-बुद्धि भी नहीं हैं ! जो परमात्मा कभी मिलेंगे, वे अब भी मिले हुए ही हैं । जो कभी आपसे अलग होगा, वह अब भी अलग ही है । शरीर निरन्तर आपसे अलग हो रहा है । जितनी उम्र बीत गयी, उतने आप शरीरसे अलग हो गये । क्या अब बालकपना पुनः आयेगा ? क्या बीते दिन पुनः आयेंगे ? कलका दिन भी क्या अब पुनः आयेगा ? संसार तो गंगाजीके प्रवाहकी तरह निरन्तर बह रहा है, फिर वह मिलेगा कैसे ? आज दिनतक संसार किसीको कभी मिला नहीं और न कभी किसीको मिलेगा । परन्तु परमात्मा आपसे कभी अलग हुए नहीं, अलग हो सकते नहीं । केवल उनसे दूरीका वहम है ।


परमात्मा भी मौजूद हैं और आप भी मौजूद हैं, फिर देरी किस बातकी ? केवल चाहनाकी कमी है ।