हरि हीराँ री गाठडी, गाहक
बिना मत खोल ।
आसी हीराँ
पारखी, बिकसी मँहगे मोल
॥
भगवान्के ग्राहकके बिना नाम-हीरा सामने क्यों रखे भाई ?
वह तो आया है दो पैसोंकी मूँगफली लेनेके लिये और आप सामने रखो
तीन लाख रत्न-दाना ? क्या करेगा वह रतनका ?
उसके सामने भगवान्का नाम क्यों रखो भाई ?
ऐसे कई सज्जन होते हैं जो नामकी महिमा सुन नहीं सकते । उनके
भीतर अरुचि पैदा हो जाती है ।
अन्नसे पले हैं, इतने बड़े हुए; परन्तु भीतर पित्तका जोर होता है तो मिश्री खराब लगती है,
अन्नकी गन्ध आती है । वह भाता नहीं,
सुहाता नहीं । अगर अन्न अच्छा नहीं है तो इतनी बड़ी अवस्था कैसे
हो गयी ? अन्न खाकर तो पले हो,
फिर भी अन्न अच्छा नहीं लगता ?
कारण क्या है ? पेट खराब है । पित्तका जोर है ।
तुलसी पूरब पाप ते, हरिचर्चा
न सुहात ।
जैसे जुरके जोरसे, भोजनकी
रुचि जात ॥
ज्वरमें अन्न अच्छा नहीं लगता । ऐसे ही पापीको बुखार है,
इस वास्ते उसे नाम अच्छा नहीं लगता । तो उसको नाम मत सुनाओ ।
मिश्री कड़वी लगती है सज्जनो ! और मिश्री कड़वी है तो क्या कुटक,
चिरायता मीठा होगा ?
परन्तु पित्तके जोरसे जीभ खराब है । पित्तकी परवाह नहीं मिश्री
खाना शुरू कर दो । खाते-खाते पित्त शान्त हो जायगा और मिश्री मीठी लगने लग जायगी ।
ऐसे किसीका विचार हो,
रुचि न हो तो नाम-जप करना शुरू कर दे इस भावसे कि यह भगवान्का
नाम है । हमें अच्छा नहीं लगता है, हमारी अरुचि है तो हमारी जीभ खराब है । यह नाम तो अच्छा ही है‒ऐसा
भाव रखकर नाम लेना शुरू कर दें और भगवान्से प्रार्थना करें
कि हे नाथ ! आपके चरणोंमें रुचि हो जाय, आपका
नाम अच्छा लगे । ऐसे भगवान्से कहता रहे,
प्रार्थना करता रहे तो ठीक हो जायगा ।
‘श्रीशेशयोर्भेदधी’‒(३) भगवान् विष्णुके भक्त हैं तो शंकरकी निन्दा न करें । दोनोंमें
भेद-बुद्धि न करें । भगवान् शंकर
और विष्णु दो नहीं हैं‒
उभयोः प्रकृतिस्त्वेका प्रत्ययभेदेन भिन्नवद्भाति ।
कलयति कश्चिन्मूढो हरिहरभेदं विना शास्त्रम् ॥
भगवान् विष्णु और शंकर इन दोनोंका स्वभाव एक है । परन्तु भक्तोंके
भावोंके भेदसे भिन्नकी तरह दीखते हैं । इस वास्ते कोई मूढ़ दोनोंका भेद करता है तो वह
शास्त्र नहीं जानता । दूसरा अर्थ होता है ‘हृञ् हरणे’
धातु तो एक है पर प्रत्यय-भेद है । हरि और हर ऐसे प्रत्यय-भेदसे
भिन्नकी तरह दीखते हैं । ‘हरि-हर’ के भेदको लेकर कलह करता है वह ‘विना शास्त्रम्’
पढ़ा लिखा नहीं है और ‘विनाशाय अस्त्रम्’‒अपना नाश करनेका अस्त्र है ।
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