।। श्रीहरिः ।।


आजकी शुभ तिथि–
माघ शुक्ल प्रतिपदा, वि.सं. २०७५ मंगलवार
नाम-जपका अनुभव
        


आगे गोस्वामीजी महाराज कहते हैं

आखर    मधुर   मनोहर   दोऊ ।
बरन बिलोचन जन जिय जोऊ ॥
                                            (मानस, बालकाण्ड २०/१)

ये दोनों अक्षर मधुर और मनोहर हैं । ‘मधुर’ कहनेका मतलब है कि रसनामें रस मिलता है । ‘मनोहर’ कहनेका तात्पर्य है कि मनको अपनी ओर खींच लेता है । जिन्होंने ‘राम’ नामका जप किया है, उनको इसका पता लगता है, और आदमी नहीं जान सकते । विलक्षण बात है कि ‘राम-राम’ करते-करते मुखमें मिठास पैदा होता है । जैसे, बढ़िया दूध हो और उसमें मिश्री पीसकर मिला दी जाय तो वह कैसा मीठा होता है, उससे भी ज्यादा मिठास इसमें आने लगता है । ‘राम’ नाममें लग जाते हैं तो फिर इसमें अद्भुत रस आने लगता है । ऐसे ये दोनों अक्षर मधुर और मनोहर हैं । ‘बरन बिलोचन जन जिय जोऊ’ये दोनों अक्षर वर्णमालाकी दो आँखें हैं । शरीरमें दो आँखें श्रेष्ठ मानी गयी है । आँखके बिना जैसे आदमी अन्धा होता है, ऐसे ‘राम’ नामके बिना वर्णमाला भी अन्धी है ।

नाम जपते हुए बहुत विलक्षण अनुभव होने लगता है । छः कमलोंमें एक नाभिकमल है, उसकी पंखुड़ियाँमें भगवान्‌के नाम हैं, वे भी दीखने लग जाते हैं । आँखोंसे जैसे बाहरी ज्ञान होता है, ऐसे नाम-जपसे बड़े-बड़े शास्त्रोंका ज्ञान हो जाता है । जिन सन्तोंने पढ़ायी नहीं की, शास्त्र नहीं पढ़े, उनकी वाणीमें भी वेदोंकी ऋचाएँ आती हैं । वेदोंमें जैसा लिखा हैं वैसी बातें उनकी साखियोंमें, वाणियोंमें आती हैं । वेदोंका ज्ञान उनको कैसे हो गया ? ‘राम’ नाम महाराजसे । ‘राम’ नाम महाराज सब अक्षरोंकी आँख है । आँखोंसे दीखने लग जाता है, और विचित्र बातें दीखने लग जाती हैं ।

श्रीरामदासजी और श्रीलालदासजी महाराज दोनोंकी मित्रता थी । उन दोनोंकी मित्रताकी कई बातें मैंने सुनी थी । एक बार एक माई भोजन लेकर जा रही थी तो उन दोनोंने आपसमें बात कही कि वह जो माई भोजन ला रही है, उसमें राबड़ी है, अमुक साग है, और ऐसी-ऐसी चीजें हैं । और उलटा कटोरा भी साथमें है । फिर जब देखा तो वैसी ही बात मिली । इस प्रकार लौकिक द्रष्टिसे भी विशेषता आ जाती है । एकान्तमें भजन करते हुए उन्हें ऐसा अनुभव होता है कि अमुक जगह अमुक बात हो रही है । इन बातोंको सन्त लोग प्रकट नहीं करते थे । ऋद्धि-सिद्धि आ जाती है और कभी कुछ बात प्रकट हो जाती है तो वे कहते कि चुप रहो, हल्ला मत करो, लोगोंको बताओ मत । अन्धेरेमें, रातमें दीखने लग जायऐसे चमत्कार होते हैं, यह तो मामूली चमत्कार है । विशेष बात यह है कि नामजपसे तत्त्वज्ञान हो जाता है । जो परमात्माका स्वरूप है, स्वयंका स्वरूप है, इन सबका अनुभव हो जाता है । यह मामूली बात है क्या ? लौकिक चमत्कार दीख जाना कोई बड़ी बात नहीं है ।


‘राम’ नाममें अपार-अनन्त शक्ति भारी हुई है । इसलिये गोस्वामीजी महाराज कहते हैंबरन बिलोचन जन जिय जोऊ’भक्तोंके हृदयको जाननेके लिये ये नेत्र हैं ।