एक बच्चा कुछ बोझ उठता है तो कहते हैं कि वाह-वाह, कितना
बोझ उठा लिया ! जब कि उसी बोझको आप एक हाथसे उठाकर रख सकते हैं । बच्चेने अपनी
पूरी शक्ति लगाकर बोझा उठाया, इसीलिये आप उसकी वाह-वाह करते हैं । ऐसे ही सज्जनो ! आपको जो वस्तु, परिस्थिति आदि मिली है, उसीका
सदुपयोग करो । आप चाहते हैं कि धन मिल जाय, अच्छी परिस्थिति मिल जाय, हमारा
शरीर निरोग हो जाय तो हम अपना कल्याण कर लेंगे, पर क्या करें, हमारे पास विद्या,
बुद्धि, योग्यता नहीं ! वास्तवमें आपके पास विद्या,
बुद्धि, योग्यताकी कोई आशा रखता ही नहीं । भगवान् भी आशा नहीं रखते । आपके पास
जितना है, उसीका अच्छी तरहसे उपयोग कीजिये; भगवान् कल्याण कर देंगे । सज्जनो ! परिस्थिति कल्याण
करनेवाली नहीं होती । कल्याण करनेवाली है‒परिस्थितिका सदुपयोग करनेकी युक्ति ।
वह आप ठीक तरहसे विचारपूर्वक समझ लें और परिस्थितिका सदुपयोग करें तो उससे कल्याण
हो जायगा ।
बचपनमें पढ़ी हुई एक कहानी याद आ गयी । ‘बीरबल-विनोद’
पुस्तकमें बादशाह अकबर और बीरबलका संवाद है । एक बार बादशाहने पूछा कि शस्त्र
कौन-सा बड़ा है, जिससे विजय हो जाय ? बीरबलने सीधी राजस्थानी भाषामें उत्तर दिया‒‘ओसाण’
(अवसर) । बादशाहने विचार किया कि इसकी परीक्षा करेंगे । एक दिन बीरबल बादशाहके साथ
जंगलमें गया । वह बड़ा बुद्धिमान् ब्राह्मण था । बादशाहकी उसपर बड़ी कृपा थी । वह
अपनी रसोई अलग बनकर खाता था । वहाँ जंगलमें वह एकान्तमें अपनी रोटी बना रहा था ।
बादशाहने एक हाथीको मदिरा पिलाकर बीरबलकी तरफ छोड़ दिया कि देखें, अब यह कैसे अपनी
रक्षा करता है ? बीरबलने देखा लिया कि हाथी आ रहा है । वहाँ एक कुतिया बैठी थी ।
बीरबलने कुतियाको रोटीका टुकड़ा दिया । ज्यों ही हाथी नजदीक आया, कुतियाके पैर
पकड़कर हाथीपर फेंका । कुतिया जाकर हाथीके माथेपर लगी । हाथी भाग गया पीछे कि न जाने
यह क्या आफत आ गयी ! अब हाथी भगानेका यह भी शस्त्र कभी किसीने सुना है ? यह तो
मौका, अवसर है कि हाथीको भगा दिया । बादशाहने कहा कि ठीक है जो ओसाण (अवसर) आ जाय,
वही शस्त्र है । इसी तरह जो अवसर आ जाय वही दान है,
पुण्य है ।
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