।। श्रीहरिः ।।

      




           आजकी शुभ तिथि–
आश्विन (अधिक) शुक्ल अष्टमी
वि.सं.२०७७, गुरुवा
अमृतबिन्दु 



मेरा कुछ नहीं है, मुझे कुछ नहीं चाहिये और मुझे अपने लिये कुछ नहीं करना है–ये तीन बातें शीघ्र उद्धार करनेवाली हैं ।

 

भगवान्‌का संकल्प हमारे कल्याणके लिये है । अगर हम अपना कोई संकल्प न रखें तो भगवान्‌के संकल्पके अनुसार अपने-आप हमारा कल्याण हो जायगा ।

 

संसारका काम तो और कोई भी कर लेगा, पर अपने कल्याणका काम तो खुदको ही करना पड़ेगा; जैसे–भोजन और दवाई खुदको ही लेनी पड़ती है ।     

   

अपने कल्याणके लिये किसी नयी परिस्थितिकी जरूरत नहीं है । प्राप्त परिस्थितिके सदुपयोगसे ही कल्याण हो सकता है ।

 

कल्याण क्रियासे नहीं होता, प्रत्युत भाव और विवेकसे होता है ।       

 

घरमें रहनेवाले सभी लोग अपनेको सेवक और दूसरोंको सेव्य समझें तो सबकी सेवा हो जायगी और सबका कल्याण हो जायगा ।


भोगोंकी प्रियता जन्म-मरण देनेवाली और भगवान्‌की प्रियता कल्याण करनेवाली है ।

 

अपना कल्याण चाहनेवाला सच्‍चे हृदयसे प्रार्थना करे तो भगवान्‌के दरबारमें उसकी सुनवायी जल्दी होती है ।      


किसीका भी कल्याण होता है तो उसके मूलमें किसी सन्तकी अथवा भगवान्‌की कृपा होती है ।

 

संसारमें सन्त-महात्माओंकी, उपदेश देनेवालोंकी कमी नहीं है । परन्तु अपना कल्याण करनेमें खुदकी लगन, लालसा, मान्यता, श्रद्धा ही काम आती है ।